किसान आंदोलन के दौरान 700 किसानों की मौत पर मुआवजा देने के सवाल पर केंद्र ने कहा है कि कृषि मंत्रालय के पास किसानों की मौत का आंकड़ा नहीं है। ऐसे में किसान परिवारों को मुआवजा देने का सवाल ही नहीं बनता। दरअसल लोकसभा में सरकार से सवाल किया गया था कि जिन किसानों की मौत हुई है, उनके परिजनों को मुआवजा देने के लिए सरकार की तरफ से कोई प्रस्ताव तैयार किया गया है या नहीं।
इस सवाल पर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बुधवार को एक लिखित उत्तर में संसद को बताया कि सरकार के पास किसानों की मौतों का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। ऐसे में उन्हें मुआवजा दिए जाने या फिर इस संबंध में कोई सवाल ही नहीं उठता है।
वित्तीय सहायता देने की मांग: बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से मांग की जा रही है कि किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को केंद्र सरकार वित्तीय सहायता दे। ऐसे में इससे जुड़ा सवाल बुधवार को लोकसभा में विपक्ष की तरफ से किया गया था।
बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में किसान संगठन पिछले एक साल आंदोलन कर रहे हैं। तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद अब किसान मोर्चे का कहना है कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले सभी किसानों के परिवारों को मुआवजा मिले। इसके साथ ही एमएसपी पर गारंटी कानून बने और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को पद से बर्खास्त किया जाये।
राकेश टिकैत की मांग: बुधवार को राकेश टिकैत ने कहा, “50-55 हज़ार मुकदमें जो आंदोलन के दौरान दर्ज़ हुए हैं वे वापस लिए जाएं, MSP गारंटी क़ानून बनें, जिन किसानों ने जान गंवाई है उन्हें मुआवजा मिले, जो ट्रैक्टर बंद हैं उन्हें ट्रैक्टर दिए जाएं। अब ये हमारे मुख्य मुद्दे हैं। सरकार को बातचीत करनी चाहिए। हमारा आंदोलन अभी खत्म नहीं हो रहा है।”
वहीं सूत्रों के अनुसार सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) को लेकर बातचीत करने के लिए किसान मोर्चा से केंद्र ने 5 नेताओं के नाम मांगे हैं। जो सरकार के साथ बैठक में मौजूद रहेंगे।
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