बिहार में शराबबंदी कानून के चलते मुकदमों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में नीतीश कुमार के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी चिंता जताई है। CJI एनवी रमना ने इस पर सवाल उठाते हुए इसे एक अदूरदर्शी फैसला बताया है। उन्होंने कहा है कि इस कानून के चलते कोर्ट पर बोझ बढ़ा है।
‘शराब ना मिलने से परेशानी हो तो बिहार ना आएं’: वहीं दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी कानून को लेकर लोगों में जन जागरूकता पैदा करने के लिए अपनी राज्य स्तर पर “समाज सुधार अभियान” यात्रा पर हैं। उन्होंने शराबबंदी का विरोध कर रहे लोगों को आगाह किया है कि जिन लोगों को बिहार में शराब ना मिलने के चलते यहां आने में परेशानी होती है, उन्हें राज्य में आने की जरूरत नहीं है।
जमानत अर्जी की सुनवाई में देरी: शराबबंदी कानून को लेकर सीजेआई एनवी रमना ने 26 दिसंबर रविवार को कहा था कि बिहार में शराबबंदी क़ानून के बाद हालत यह है कि पटना हाइकोर्ट में ज़मानत की याचिका एक-एक साल पर सुनवाई के लिए आती है।
सीजेआई एनवी रमना ने शराबबंदी कानून का मसौदा तैयार करने में दूरदर्शिता की कमी का उदाहरण बताया था। उन्होंने कहा था कि मालूम पड़ता है कि विधायिका, बिलों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए संसद की स्थायी समिति प्रणाली का सही तरीके से उपयोग करने में सक्षम नहीं है।
विजयवाड़ा के कार्यक्रम में ‘भारतीय न्यायपालिका: भविष्य की चुनौतियां’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सीजेआई ने कहा था कि मुझे उम्मीद है कि इसमें बदलवा होगा क्योंकि इस तरह की जांच से कानून की गुणवत्ता में सुधार होता है।’
बता दें कि राज्य पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक इस साल अक्टूबर तक बिहार शराबबंदी और उत्पाद शुल्क कानून के तहत 3,48,170 मामले दर्ज किए गए और 4,01,855 गिरफ्तारियां की हुई। इन मामलों से संबंधित लगभग 20,000 जमानत आवेदन पटना उच्च न्यायालय और जिला अदालतों के समक्ष निपटारे के लिए लंबित हैं।
पटना उच्च न्यायालय ने जनवरी 2020 और नवंबर 2021 के बीच शराबबंदी के मामलों में 19,842 जमानत याचिकाओं (अग्रिम और नियमित) का निपटारा किया। इस अवधि के दौरान अदालत द्वारा निपटाई गई कुल 70,673 जमानत याचिकाएं थीं। वहीं नवंबर तक इस कानून के अंतर्गत 6,880 जमानत याचिकाएं अभी भी उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं। जिसमें कुल जमानत का आंकड़ा 37,381 है।
बिहार में की 59 जेलों में लगभग 47,000 कैदियों को रखने की क्षमता है। हालांकि, जेल सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में इन जेलों में लगभग 70,000 कैदी हैं, जिनमें से लगभग 25,000 के खिलाफ शराब कानून के तहत मामला दर्ज किया गया।
बता दें कि एक तरफ बिहार में अवैध शराब को जब्त करने और इसके आरोपियों पर कार्रवाई की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ इस कानून के चलते लाखों मुक़दमे भी दर्ज किये गये हैं। जिसका दबाव न्यायपालिका पर देखने को मिल जाता हैं।
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