महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब ने सोमवार को कहा कि हड़ताल से बुरी तरह प्रभावित एमएसआरटीसी से बर्खास्त किए गए कर्मचारियों को फिलहाल नौकरी पर पुन:बहाल नहीं किया जाएगा। वह विधान परिषद में भाजपा के एमएलसी रंजीतसिंह मोहिते पाटिल के सवाल का जवाब दे रहे थे।
महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों का एक बड़ा तबका 28 अक्टूबर से हड़ताल पर है। उनकी मांग है कि घाटे में चल रहे एमएमआरटीसी को राज्य सरकार के हवाले कर दिया जाए। वहीं कर्मचारियों की हड़ताल नौ नवंबर से तेज होने के बाद बस सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल हम उन कर्मचारियों की सेवाएं नहीं ले सकते हैं जिन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। हमने कम से कम छह बार अपील की लेकिन उन्होंने लौटने से इंकार कर दिया। अब उनका कांट्रैक्ट समाप्त हो गया है और हम उन्हें तत्काल ड्यूटी पर वापस नहीं ले सकते हैं।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘जिन्हें निलंबित किया गया था, उन्हें ड्यूटी पर वापस आने दिया जा रहा है। हमने उनके खिलाफ दर्ज मामले भी खारिज कर दिए हैं। हड़ताल के कारण 650 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कोविड-19 लॉकडाउन के कारण परिवहन निगम पहले से ही वित्तीय परेशानियों से जूझ रहा था।’’
परब ने कहा कि हड़ताली कर्मचारियों द्वारा की जा रही निगम के विलय की मांग पर राज्य सरकार को उच्च न्यायालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति की सिफारिशों का इंतजार है।
हड़ताली कर्मचारियों का गुस्सा कम करने के लिहाज से उनके बेसिक वेतन में कुछ समय पहले की गई वृद्धि पर परब ने कहा कि वेतन वृद्धि अस्थाई होने की अफवाहों पर ध्यान ना दें। उन्होंने विधान परिषद से कहा, ‘‘एमएसआरटीसी में वेतन वृद्धि स्थाई है। हमने महीने की 10 तारीख तक वेतन भुगतान करने का भी फैसला लिया है।’’
‘कोरोना से मरने वाले 222 कर्मियों के परिजन ने नौकरी को किया आवेदन’: महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम को पिछले कुछ वर्षों में कोविड-19 से मरने वाले कर्मचारियों के परिजनों द्वारा अनुकंपा आधार श्रेणी में नौकरी के 222 आवेदन प्राप्त हुए हैं। राज्य के मंत्री अनिल परब ने इसके साथ ही बताया कि 19 सीओवीआईडी -19 पीड़ित कर्मचारियों के परिजनों ने नौकरी स्वीकार करने के बजाय मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये लेने का विकल्प चुना है, और ऐसे छह प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया गया है।
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