आधार कार्ड एक जरुरी दस्तावेज है जो आज के समय में पहचान पत्र के लिए उपयोग किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल बैंक से लेकर हर जरुरी काम में किया जाता है। यह कारण है कि छोटे बच्चों के लिए बाल आधार बनाया जाता है। लेकिन अब तीन साल के बच्चे जल्द ही आधार नामांकन के लिए पात्र हो सकते हैं। फिलहाल पांच साल के बच्चों का बायोमेट्रिक्स लिया जाता है। यूआईडीएआई के सीईओ सौरभ गर्ग की मौजुदगी में तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान तीन साल के बच्चों के आधार को लेकर निष्कर्ष निकाला गया।
तीन साल के बच्चों को Biometric Aadhaar बनाने का कारण
तीन दिवसीय सम्मेलन में एक प्रस्तुति के दौरान मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अनिल के जैन ने सिफारिश की कि बायोमेट्रिक्स लेने की न्यूनतम आयु पांच से घटाकर तीन साल की जानी चाहिए। प्रोफेसर जैन ने इसके कई कारण बताए, इसका एक कारण भारत में लापता होने वाले बच्चों की चिंताजनक संख्या थी। तीन साल के बच्चों के लिए एक विशिष्ट पहचान के लिए एक मामला बनाने के लिए, उन्होंने यह भी कहा कि यह विचार यह निर्धारित करने में मदद करेगा कि किस बच्चे को टीका लगाया गया है और कौन सा बच्चा सरकार के योजना से वंचित है।
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इन आंकड़ों पर एक नजर
एक आंकड़े के अनुसार, भारत में हर साल 2.5 करोड़ बच्चे पैदा होते हैं और इसलिए 125 मिलियन बच्चों के पास पांच साल की उम्र तक किसी भी समय अपना आधार नहीं होता है। ऐसे में इस तरह की तकनीकी बड़ी मदद कर सकती है। इससे पहले यूआईडीएआई के पूर्व सीईओ अजय भूषण पांडे ने 2017 में साइबरस्पेस पर वैश्विक सम्मेलन में एक सत्र के दौरान कहा था कि आधार के माध्यम से 500 से अधिक लापता बच्चों का पता लगाया गया था।
आधार को लेकर बच्चों के लिए अभी क्या है नियम
वर्तमान नियम यह है कि जन्म के समय पांच साल तक के बच्चों को आधार नंबर दिया जाता है, लेकिन यह उनके माता-पिता से जुड़ा होता है। बच्चे के पांच साल के होने के बाद ही बायोमेट्रिक्स लिए जाते हैं और 15 साल की उम्र में इसे अपडेट करना होता है।
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