Monday, November 29, 2021

आभासी मुद्रा विधेयक की तैयारी: सरकार को क्यों पड़ी जरूरत

सरकार ने एलान किया है कि वह आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरंसी) पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। देश में खुद की आधिकारिक आभासी मुद्रा लाने की योजना है। दरअसल, कुछ दिन पहले रिजर्व बैंक ने जब औपचारिक रूप से आभासी मुद्राओं को लेकर अपनी चिंता सरकार के साथ साझा की तो सरकार ने इसको लेकर बहस को आगे बढ़ाया। इस पर मंथन शुरू हो गया कि डिजिटल करंसी को कैसे नियंत्रण में रखा जाए? अब सरकार संसद के मौजूद सत्र में आभासी मुद्रा के नियमन को लेकर विधेयक लाने की तैयारी में है। जब से यह खब आई, तब से क्रिप्टोकरंसी के बाजार में हलचल देखी जा रही है। बिटकाइन समेत कई आभासी मुद्राओं में 15 से 26 फीसद की गिरावट दर्ज की गई।

भारत में कितने निवेशक

देश की लगभग आठ फीसद आबादी ने कई तरह की आभासी मुद्राओं में निवेश किया हुआ है। ऐसे में अगर सरकार इन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाती है तो इन निवेशकों को तगड़ा झटका लगेगा। इन निवेशकों ने करीब 70 हजार करोड़ रुपए दुनियाभर में प्रचलित कई तरह की आभासी मुद्रा में लगा रखा है। आभासी मुद्रा ब्लाक चेन तकनीक पर आधारित है। इसे आप देख या छू नहीं सकते।

इस करंसी में कोडिंग तकनीक का प्रयोग होता है। दुनिया भर में इसका कोई नियामक नहीं है। अब कई देश इस मुद्रा के नियमन के रास्ते तलाश रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि क्रिप्टोकरंसी का नेटवर्क लगातार बढ़ रहा है। बिटकाइन की कीमत में पिछले 11 साल में एक लाख गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। कुछ आभासी मुद्राओं को पिछले एक साल में ही 10 हजार गुना तक का फायदा मिला है। अप्रैल 2020 में भारतीयों ने इसमें 92 करोड़ डालर का निवेश किया था, जो इस साल मई में बढ़कर 6.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

क्या है सरकार की तैयारी
आभासी मुद्रा के नियमन के लिए सरकार जो विधेयक ला रही है उसका नाम है, ‘क्रिप्टोकरंसी एंड रेग्युलेशन आफ आफिशियल डिजिटल करंसी बिल, 2021’। यह विधेयक 2019 में बने विधेयक से अलग है। कुछ साल पहले वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सेबी और रिजर्व के प्रतिनिधियों वाली एक अंतर-मंत्रालयी समिति ने सिफारिश की थी, लेकिन इसे संसद में नहीं पेश किया जा सका था। पुराने विधेयक में आभासी मुद्रा पर पूर्ण प्रतिबंध का सुझाव दिया गया था। 15 नवंबर को वित्त मामलों की संसद की स्थायी समिति ने क्रिप्टोकरंसी के सभी हितधारकों, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और अन्य संबंधित पक्षों के साथ बैठक की। इस बैठक में नियमन तैयार करने की आम राय बनी।
विधेयक का प्रस्तावित मसविदा
नए विधेयक के जरिए सरकार रिजर्व बैंक के तहत एक नियामक तैयार करना चाहती है। इस विधेयक के तहत ऐसा प्रावधान लाया जा सकता है, जिससे सारी निजी क्रिप्टोकरंसी (जिसके लेनदेन की जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं होती है) पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। हालांकि, इसके तकनीक और इस्तेमाल को आगे बढ़ाने के लिए कुछ अपवाद रखे जाएंगे। संभावना यह भी है कि सरकार इस पर कर लगा सकती है। सरकार अपना खुद का वालेट ला सकती है, जिसे आरबीआइ जारी कर सकता है। इससे क्रिप्टोकरंसी की खरीद-बिक्री हो सकती है।
क्या है रिजर्व बैंक का प्रस्ताव
रिजर्व बैंक का प्रस्ताव है कि देश में आभासी मुद्रा को भी बैंक नोट की परिभाषा में रखा जाए। इसके लिए आरबीआइ ने अक्तूबर में कानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया था। रिजर्न बैंक ने अक्तूबर में ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी’ (सीबीसीडी) का प्रस्ताव रखा था। इस बारे में वित्त मंत्रालय ने कहा है कि सीबीसीडी के आने से कई फायदे होंगे। लोगों की नकदी पर निर्भरता घटेगी, लेन-देन का खर्च कम होगा, जोखिम कम होगा। मंत्रालय के मुताबिक, मजबूत, सक्षम, विश्वसनीय नियमित और वैध भुगतान विकल्प तैयार होगा। हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि इससे जुड़े कुछ जोखिम भी हैं, जिनकी समीक्षा बाकी है।विदेशों में क्या रुख

अमेरिका : सकारात्मक रुख है।
ब्रिटेन : आभासी मुद्रा कारोबार के लिए पंजीकृत मंच को लाइसेंस देने का प्रावधान रखा है। वहां कारोबार पर कर भी वसूला जाता है।
चीन : शुरुआत में तो आभासी मुद्रा के कारोबार की मंजूरी दी थी, लेकिन इस साल कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए। चीन अपनी करंसी युआन का आभासी रूप तैयार कर रहा है।
यूरोपियन संघ: यूरोपीय आयोग ने पिछले साल सितंबर में मार्केट्स इन क्रिप्टो-असेट्स रेग्युलेशन (मिका) विधेयक का ड्राफ्ट जारी किया था। जब यह विधेयक लागू होगा तो क्रिप्टोकरंसी को विनियमित वित्तीय उपकरण के तौर पर देखा जाएगा, जिसके लिए नियामक संस्थाओं की मंजूरी लेनी जरूरी होगी।

क्या कहते हैं जानकार

आभासी मुद्रा को किसी तरह से वैध मुद्रा का दर्जा नहीं दिया जाएगा। लेन देन में इस करंसी के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। विधेयक की तैयारी है। कई और मुद्दों पर अध्ययन जारी है।

  • टीवी सोमनाथन,
    वित्त सचिव

सरकार को ठोस कानून बनाना होगा, जिससे देश की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखा जा सके। कानून लाने में देरी की वजह से कुछ को क्रिप्टोकरंसी का समानांतर साम्राज्य बनाने का मौका मिला है। इसके लिए कोई नियम कानून नहीं होने से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा जोखिम पैदा हो रहा है।

  • विराग गुप्ता, साइबर कानून विशेषज्ञ

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