अभिनय, नौकरशाही और साहित्य। ये तीनों क्षेत्र एक-दूसरे से अलग हैं, लेकिन अनिता भटनागर जैन ने इन तीनों ही क्षेत्रों में बेहतरीन उपलब्धियां हासिल की हैं। ये तीनों क्षेत्र उनकी शख्सियत का हिस्सा हैं। वर्ष 1975 में नाटकों से अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाली अनिता एक समय दूरदर्शन का चर्चित चेहरा हुआ करती थीं। उन्होंने अनुपम खेर के निर्देशन में एक नाटक में अभिनय करने के अलावा कुछ फिल्मों में भी काम किया। यह उनके व्यक्तित्व का पहला रंग था।
साल 1985 में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनीं और विभिन्न सरकारी विभागों में अपने दायित्वों को निभाते हुए अक्तूबर 2020 में सेवानिवृत्त हुईं। बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें लोकसेवा अधिकरण में सदस्य के तौर पर नामित किया। इस वर्ष हाल में उन्हें बाल कथा साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए अमृतलाल नागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने बच्चों को पर्यावरण के प्रति सजग करने के लिए कई कहानियों की रचना की है। महानगरों में परिंदों की कम होती संख्या को लेकर चिंतित हुुईं, तो उन्होंने ‘दिल्ली की बुलबुल’ के नाम से कहानी संग्रह लिखा। उन्होंने बच्चों के नैतिक विकास और उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग रखने के लिए ‘कुंभ’ और ‘गरम पहाड़’ के नाम से कहानी संग्रह की रचना की।
दो नवंबर 1959 को जन्मीं अनिता ने लखनऊ के लोरेटो कांवेंट से शिक्षा ग्रहण करने के बाद समाजशास्त्र में एमए किया और पर्यावरण संरक्षण कानूनों पर स्रातकोत्तर डिप्लोमा करने के अलावा जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य पर प्रभाव विषय पर हार्वर्ड से आनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स किया। पर्यावरण संरक्षण और बच्चों में नैतिकता को बढ़ावा देने वाली उनकी किताबों का छह भाषाओं में अनुवाद हुआ है और उनके 50 से अधिक लेख तथा यात्रा संस्मरण विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
पिछले दो दशक से वह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रही हैं और उन्होंने एक लाख बच्चों के साथ बाल पर्यावरण वाहिनी की स्थापना की है। लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए उन्होंने ‘हमारी पृथ्वी हमारा घर’ नाम से एक फिल्म का निर्माण भी किया, जिसे यूनेस्को द्वारा प्रदर्शित किया गया।
प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर उन्हें उत्तर प्रदेश में खेलों के विकास और खेलों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने वर्तमान खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों के लिए आधुनिकतम सुविधाओं और नवीनतम साजो-सामान की व्यवस्था करने के साथ ही पूर्व खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को आर्थिक सहायता तथा सम्मान दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए।
राज्य में अधिक से अधिक लड़कियां खेलों में शिरकत करें, इसके लिए अनिता भटनागर जैन ने स्कूल स्तर पर प्रतिभा पहचान के लिए मासिक आधार पर उनके प्रदर्शन पर नजर रखनी शुरू की। इसका नतीजा यह हुआ कि विभिन्न खेलों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ी।
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