सरकार तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस ले चुकी है। इन कानूनों की वापसी के साथ ही किसान संगठनों पर आंदोलन को खत्म करने का दवाब भी बढ़ रहा है, लेकिन इस मुद्दे पर किसान अब दो गुटों में बंटते दिख रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो इन कानूनों के खिलाफ पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे किसान, आंदोलन खत्म करने के मुद्दे पर एकमत नहीं दिख रहे हैं। हरियाणा और पंजाब के किसान जहां इस आंदोलन को अब रोकने के पक्ष में दिख रहे हैं तो वहीं टिकैत ग्रुप इसे अभी खत्म करने के मूड में नहीं दिख रहा है। टिकैत ग्रुप सरकार से एमएसपी मामले पर समाधान की बात कह रहा है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत लगातार दोहरा रहे हैं कि किसान अभी घर वापस नहीं जाएंगे। बाकी बचे हुए मुद्दों पर सरकार बात करे, उसके बाद फैसला लिया जाएगा। मंगलवार को टीवी9 भारतवर्ष से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा- लोग कहीं नहीं जा रहे हैं, ये आपस में तोड़ फोड़ करने की बात की जा रही है। सरकार का एक एजेंडा होता है, ये भी उनके एजेंडे में शामिल हो जाएगा”।
इससे पहले भी टिकैत ने कहा था कि जबतक एमएसपी के साथ-साथ और बाकी बचे मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता, किसानों का आंदोलन खत्म नहीं होगा। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) जिसमें 40 से अधिक कृषि संगठन शामिल हैं। उसने कानूनों की वापसी पर कहा कि यह निरसन उसके साल भर के आंदोलन की सफलता का प्रमाण है। इसने भी किसानों के आंदोलन को तब तक जारी रखने की बात कही है, जब तक कि उनकी सभी “उचित मांगें” पूरी नहीं हो जाती है। एक संयुक्त बयान में कहा गया- “आज इतिहास बन गया है। यह किसान आंदोलन की पहली बड़ी जीत है, जबकि अन्य महत्वपूर्ण मांगें अभी भी लंबित हैं”।
हालांकि मिली जानकारी के अनुसार सिंघु बॉडर पर मौजूद कुछ संगठन अब आंदोलन खत्म करने की बात कर रहे हैं। इसका इशारा सोमवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि वो कुछ लोगों से संपर्क में है, इस मामले पर चार दिसंबर तक फैसला हो सकता है।
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