Tuesday, November 30, 2021

तत्काल टिकटों पर शुल्क थोड़ा अनुचित, यात्रियों पर डालता है बोझ, किराये पर विवेकपूर्ण ढंग से हो निर्णय- संसदीय कमेटी

संसद की एक समिति ने रेलवे में यात्रा संबंधी सीटों की ‘तत्काल योजना’ के संबंध में दलालों की संभावित संलिप्तता की शिकायतों का उल्लेख करते हुए सरकार से इस योजना के दुरूपयोग को रोकने के लिये एक सुदृढ़ निगरानी तंत्र बनाने एवं इसमें बेईमान तत्वों को शामिल होने से रोकने का प्रबंध करने की सिफारिश की।

‘भारतीय रेल यात्री आरक्षण प्रणाली’ विषय पर लोकसभा में पेश रेल संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने सरकार से तत्काल टिकटों पर लिये जाने वाले शुल्क को यात्रा की दूरी के अनुसार तय करने का उपाय करने तथा फ्लेक्सी/डायनेमिक किराये के मूल्य निर्धारण पर विवेकपूर्ण ढंग से निर्णय करने को कहा। इसमें कहा गया है कि रेल में उन यात्रियों को आरक्षण प्रदान करने के लिये तत्काल योजना शुरू की गई थी जिन्हें अल्प सूचना पर यात्रा करनी होती है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने इस योजना की सराहना करते हुए इसमें दलालों की संभावित संलिप्तता को लेकर आशंका प्रकट की जिनकी बेईमान गतिविधियों से वास्तविक यात्रियों को इस योजना का लाभ मिलने में कठिनाइयां हो सकती हैं। समिति की राय है कि रेलवे को भौतिक और साइबर दोनों क्षेत्रों में इन तत्वों द्वारा उत्पन्न खतरों के प्रति हमेशा सतर्क रहना चाहिए। समिति ने मंत्रालय से इसके दुरूपयोग को रोकने के लिये एक सुदृढ़ निगरानी तंत्र बनाने एवं इसमें बेईमान तत्वों को शामिल होने से रोकने का प्रबंध करने की सिफारिश की।

तत्काल टिकट ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर प्रीमियम शुल्क के भुगतान पर बुक किया जाता है। वर्तमान में इसे रेल यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) और भारतीय खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) वेबसाइट से एक दिन पहले एसी श्रेणी के लिये सुबह 10 बजे और गैर एसी श्रेणी के लिये 11 बजे बुक किया जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने यह भी कहा कि तत्काल टिकटों पर लिया जाने वाला शुल्क थोड़ा अनुचित है और विशेष रूप से उन यात्रियों पर भारी बोझ डाल रहा है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं तथा तात्कालिकता में अपने परिजनों से मिलने के लिये अथवा बहुत कम दूरी के लिये भी यात्रा करने की मजबूरी होती है।

समिति ने कहा कि मंत्रालय यात्रा की दूरी के अनुसार यथानुपात किराये के लिये उपाय करे। उसने यह भी कहा कि मंत्रालय व्यापक जनहित में फ्लेक्सी/डायनेमिक किराया तंत्र की समीक्ष करे और किराये के मूल्य निर्धारण का विवेकपूर्ण ढंग से निर्णय करे जो संतुलित और समान स्तर पर आधारित हो।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि तथ्यों को देखते हुए फ्लेक्सी/डायनेमिक मूल्य निर्धाारण कुछ भेदभावपूर्ण प्रतीत होता है क्योंकि राजधानी, शताब्दी और दुरंतो का किराया अन्य मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में पहले से अधिक है और बजट एयरलाइनों की तुलना में बराबर या कुछ मामलों में अधिक भी है। समिति का मत है कि बढ़ी हुई किराया संरचना के साथ मामूली आय वाले या आर्थिक रूप से वंचित रेल उपयोगकर्ता इस किराये को वहन नहीं कर पायेंगे एवं इन ट्रेनों का विकल्प नहीं चुनेंगे।

“मार्च 21 तक 44 मार्गों पर 400 से अधिक ‘किसान रेल सेवाएं’ संचालित हुईं”: सरकार ने बताया कि फल, सब्जियों, मांस, कुक्कुट एवं मत्स्य तथा डेयरी उत्पादों की सुरक्षित आवाजाही के लिये इस वर्ष मार्च तक 44 मार्गों पर 400 से अधिक ‘किसान रेल सेवाएं’ संचालित की गईं जिनमें करीब 1.3 लाख टन वस्तुओं का परिवहन किया गया। लोकसभा में पेश रेल मंत्रालय संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, किसान रेल के बारे में सरकार ने समिति को यह जानकारी दी।

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