वैशेषिका सूत्र भारतीय दर्शन के छह ग्रंथों में से एक है जिसने परमाणु की भौतिकी, दोलन और गुरुत्व के पूरे फलसफे को सामने रखा है। हमारे अस्तित्व की सबसे छोटी इकाई परमाणु के बारे में डाल्टन ने 19वीं शताब्दी में बताया था जबकि करीब तीसरी शताब्दी में ही ऋषि कणाद इसका खुलासा कर चुके थे। कणाद के लिखे इन सूत्रों में न्यूटन के तीनों सूत्र तो शामिल हैं ही, साथ ही 370 सूत्रों में पूरी कायनात की बनावट और बर्ताव की महीन वैज्ञानिक जानकारियां भी हैं।
ऊर्जा और पदार्थ के आपसी लेनदेन के साथ ही पंचभूत की वैज्ञानिक पैमानों पर पड़ताल करने वाले ये सूत्र संस्कृत में लिखे गए हैं। क्वांटम भौतिकी का मूल कहे जाने वाले इस दस्तावेज का अंग्रेजी में तर्जुमा कर प्रो सुभाष काक ने ये कौतुक जगा दिया है कि हमारी अपनी ज्ञान-विज्ञान की विरासत में आने वाली सदी की कितनी साफ झलक है। आस्ट्रियाई वैज्ञानिक श्रोडिंगर क्वांटम पर किए अपने काम के दौरान उपनिषदों का जिक्र करने में हिचक नहीं दिखाई। क्वांटम का अनिश्चितता का सिद्धांत देने वाले जर्मन वैज्ञानिक वर्नर हाइजनबर्ग ने रवींद्रनाथ ठाकुर से हुए संवाद के जरिए भारतीय ज्ञान परंपरा से पहचान की। उसके बाद हाइजनबर्ग के लिए यह कहना आसान हो गया कि भारतीय दर्शन से रूबरू होने के बाद उनके लिए क्वांटम भौतिकी उतनी उलझी नहीं रही।
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