कर्नाटक सीआईडी की जांच में फर्जी तरीके से बेंगलुरु शहर की संपत्ति हड़पने की कोशिश करने वाले गैंग का खुलासा हुआ है। यह गिरोह अवैध रूप से संपत्ति को हड़पने के लिए फर्जी मकान मालिक और फर्जी किरायेदार के बीच एक फर्जी विवाद बनाकर नकली दस्तावेज और अदालतों के फर्जी आदेश के जरिए संपत्ति हड़पने की कोशिश करता था। इसके लिए फर्जी अधिकारी भी बनाए गए थे जो महंगे महंगे सूट बूट पहनकर दबिश देते थे। इतना ही नहीं इस करतूत में कुछ राजनीतिक रसूख वाले लोग भी शामिल थे।
कथित तौर पर वकीलों और नकली शिकायतकर्ताओं के गिरोह से जुड़े 118 मामलों वाले बेदखली रैकेट का खुलासा पिछले साल कर्नाटक उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद हुआ था। यह खुलासा एक निजी फर्म शाह हरिलाल भीकाभाई एंड कंपनी द्वारा दायर किए गए एक मामले में किया गया था जिसके खिलाफ एक स्थानीय अदालत द्वारा बेदखली का आदेश दिया गया था। यह आदेश उत्तरी बेंगलुरु की एक संपत्ति के लिए नकली किरायेदारों और मालिकों को नकली रखकर प्राप्त किया गया था।
उच्च न्यायालय ने इस बेदखली रैकेट का खुलासा करने के लिए जांच का आदेश दिया था और राज्य सरकार ने इस साल की शुरुआत में सीआईडी को इसकी जांच सौंपी। बेदखली रैकेट मामले में सीआईडी अब तक 60 से ज्यादा एफआईआर दर्ज कर चुकी है। जांच में यह भी पता चला है कि अदालतों के नकली आदेश के जरिए संपत्ति हड़पने के कुछ मामलों में हाई प्रोफाइल लोग भी शामिल थे। हालांकि अभी तक सीआईडी ने किसी भी हाईप्रोफाइल व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया है। लेकिन साल 2018 के एक मामले में भाजपा और कांग्रेस से जुड़े एक पूर्व सांसद से जुड़े कुछ दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
सीआईडी से जुड़े सूत्रों ने जानकारी देते हुए कहा कि अभी तक नेताओं और वीआईपी से जुड़े मामलों में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है, जिन्होंने संपत्तियों पर अपना अवैध दावा करने के लिए इस गिरोह का इस्तेमाल किया था। प्राथमिक जांच में वीआईपी के शामिल होने का खुलासा हुआ है। सीआईडी फिलहाल ऐसे मामलों की जांच कर रही है जहां गिरोह द्वारा ही बेदखली का प्रयास किया गया है या उसे अंजाम दिया गया है।
जांच अधिकारियों के अनुमान के इस गिरोह की मदद से कई वीआईपी लोगों ने कई सौ करोड़ की संपत्ति हड़पी है। वहीं कर्नाटक पुलिस के सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि वीआईपी के इशारे पर गिरोह ने पूर्वी बेंगलुरु के कृष्णराजपुरम, बेन्सन टाउन, बनासवाड़ी इलाकों की कई संपत्तियों को निशाना बनाया। नकली आदेश बनाकर अलग अलग संपत्तियों को हड़पने के लिए गिरोह को करीब 70 लाख रुपए तक दिए गए हैं।
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