लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को सरकार से कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के संबंध में प्रत्येक सांसद के 10 सीटों के कोटे को बनाए रखने या समाप्त करने के विषय पर सभी दलों के नेताओं से बात करके फैसला करे। प्रत्येक सांसद को उसके निर्वाचन क्षेत्र में स्थित केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश के लिए 10 सीटों का कोटा मिलता है, जिसमें उसकी सिफारिश पर क्षेत्र के किसी विद्यार्थी का इन विद्यालय में दाखिल हो सकता है। निचले सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के मनीष तिवारी, के सुरेश, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा सहित कुछ अन्य सदस्यों ने इस विषय को उठाया।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वह समझते हैं कि इस विषय को लेकर जन प्रतिनिधियों पर दबाव है, लेकिन यह कोई अधिकार का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि कभी यह (कोटा) दो सीट का था, जो बाद में पांच सीट का हुआ और अब 10 है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मूल रूप से राज्यों का विषय है। केंद्रीय क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की दृष्टि से प्रारंभ में केंद्रीय विद्यालय खोलने की बात आई क्योंकि उन कर्मचारियों का तबादला होता रहता है।
शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘इस बड़ी पंचायत में बैठकर हमें तय करना है कि क्या हम अपने अधिकार का प्रयोग कुछ चंद लोगों के लिए करेंगे अथवा सभी के लिए करेंगे। इस बारे में अध्यक्ष जी का मार्गदर्शन चाहिए। ’ इस पर लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने सदस्यों से पूछा कि अगर सभी इस बारे में सहमत हों तब क्या इसे (कोटे को) समाप्त कर दिया जाए ? क्यों कोई विशेष प्रावधान रखें ? उन्होंने कहा कि सरकार ने विशेषाधिकार समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू की है तब सभी इस पर सहमत हो जाएं।
मनीष तिवारी ने कहा कि यहां बैठे लोग 15 से 20 लाख मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनके संसदीय क्षेत्र में 35 से 40 लाख लोग रहते हैं। सांसदों को केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के संबंध में 10 सीटों की सिफारिश करने का कोटा दिया गया है, इससे उन्हें काफी तकलीफ हो रही है। ऐसे में उनका आग्रह है कि या तो इसे 10 से बढ़ाकर 50 सीट कर दिया जाए अथवा इस कोटे को समाप्त कर दिया जाए। वहीं, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने कहा कि अगर कोटा समाप्त कर दिया जाएगा तो स्थिति कठिन होगी।
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