देश में मेडिकल की पढ़ाई के सिलेबस में कई बदलाव करते हुए नई गाइडलाइन जारी की गई है। मेडिकल एजुकेशन की रेग्युलेटरी बॉडी नैशनल मेडिकल कमीशन ने Maharshi Charak Shapath को सिलेबस का हिस्सा बना दिया है। साथ ही मेडिकल स्टूडेंट्स को 10 दिन का योगा कोर्स करना होगा। इसके अलावा, मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए नैशनल एग्जिट टेस्ट भी अनिवार्य बना दिया गया है और इसे पास करने के बाद ही एमबीबीएस की डिग्री मिलेगी।
एमबीबीएस के वर्तमान बैच में शामिल हुए छात्र हिप्पोक्रेटिक शपथ के बजाय महर्षि चरक शपथ लेंगे। महर्षि चरक शपथ को मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए अनिवार्य किए जाने की जानकारी ऐसे समय सामने आई है, जब हाल ही में सरकार ने संसद में इसको लेकर स्पष्टीकरण दिया था। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था, “नैशनल मेडिकल कमीशन की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, हिप्पोक्रेटिक शपथ को चरक शपथ से बदलने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।”
नई गाइडलाइन के मुताबिक, मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए 10 दिन के योगा फाउंडेशन कोर्स का सुझाव दिया गया है, जो हर साल 12 जून से शुरू होगा और 21 जून को योग दिवस पर पूरा होगा। हालांकि, इसमें कॉलेज ये तय कर सकेंगे कि इसे कैसे कराया जाए।
रिवाइज्ड करिकुलम में, अब मेडिकल स्टूडेंट्स को कोर्स के पहले साल कम्यूनिटी हेल्थ ट्रेनिंग में हिस्सा लेना होगा। इसके लिए उन्हें कम्यूनिटी हेल्थ सेंटरों की विजिट करनी होगी और साथ ही साथ उन गांवों को गोद लेना होगा जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, मौजूदा करिकुलम में कम्यूनिटी मेडिसिन पढ़ाई के तीसरे साल में आती है। दूसरे वर्ष से शुरू होने वाले फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी कोर्स को तीसरे वर्ष के कोर्स में जोड़ दिया गया है।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ रोहन कृष्णन कहते हैं, “पाठ्यक्रमों को थोड़ा इधर-उधर कर दिया गया है। महामारी के मद्देनजर, वायरोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए था, लेकिन रिवाइज्ड करिकुलम में ऐसा कुछ नहीं हुआ है।”
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