प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के आठ सालों में 159 केंद्रीय विद्यालय (KV School) बनाए गए, जबकि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल के आठ सालों में 202 स्कूलों का निर्माण किया गया था। यह जानकारी इंडिया टुडे की तरफ से दायर सूचना के अधिकार (Right to Information- RTI) में सामने आई है।
आरटीआई में बताया गया कि 2014-15 से 2021-2022 के दौरान 159 स्कूलों का निर्माण किया गया। वहीं, 2004-05 से 2011-12 तक, जब मनमोहन सिंह की सरकार थी, तब 202 केंद्रीय विद्यालय शुरू किए गए। इसका मतलब है मौजूदा एनडीए सरकार में सालाना करीब 20 स्कूल बनाए गए जबकि यूपीए सरकार की बात करें तो आठ सालों में हर साल तकरीबन 25 केवी का निर्माण किया गया।
वर्तमान एनडीए सरकार में मध्य प्रदेश में 20, उत्तर प्रदेश में 17, राजस्थान में 14, कर्नाटक में 13, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 10-10 स्कूल खोले गए। वहीं, यूपीए सरकार के शुरुआती 8 वर्षों के दौरान, ओडिशा को सबसे ज्यादा 24 केवी स्कूल मिले, जबकि मध्य प्रदेश में 20, बिहार में 16, यूपी में 12, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में 11-11 एवं पंजाब और तमिलनाडु में 10-10 स्कूल खोले गए। इन 8 वर्षों में, बिहार को मनमोहन सरकार के तहत 16 केवी मिले, लेकिन पीएम मोदी के शासन में केवल 4 केवी ही मिले।
बता दें कि देशभर में 1249 केवी हैं जिनमें तकरीबन 14,35,562 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। केवी स्कूल रियायती गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं इसलिए ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों को केंद्रीय स्कूलों में पढ़ाई के लिए भेजना चाहते हैं, लेकिन इनकी संख्या में कमी को देखते हुए ही नए केवी स्कूल खोलने की तरफ सरकार ने काम किया। किस सरकार द्वारा कितने स्कूल खोले गए और पिछले 15 सालों में उन्हें कितना पैसा आवंटित किया गया है, यह जानने के लिए इंडिया टुडे ने केवी के पास आरटीआई दायर की थी। इस आरटीआई के जरिए ही यह आंकड़ा सामने आया है।
केंद्र सरकार ने केवी में एडमिशन के लिए कोटा किया खत्म
केंद्र सरकार ने केवी में एडमिशन के लिए कोटा खत्म कर दिया है। कोटा के माध्यम से संसद सदस्य केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में प्रवेश के लिए नामों की सिफारिश कर सकते थे। इसके तहत, प्रत्येक सांसद प्रवेश के लिए 10 छात्रों के नाम सिफारिश कर सकता था। मार्च में, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में कहा था कि 10 का कोटा काफी कम है। उन्होंने सरकार से आग्रह कर कहा कि या तो इस कोटे को बढ़ाया जाए या फिर पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए। इसके बाद सरकार ने कोटा रद्द कर दिया।
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