Thursday, April 28, 2022

Fuel Price Hike: राज्य सरकारों के लिए ईंधन पर टैक्स में कटौती करना क्यों और कैसे है आसान? समझें

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम तेजी के बाद केंद्र सरकार की ओर से 3 सालों में (नवंबर 2021) पहली बार एक्साइज ड्यूटी को घटाया गया था। केंद्र के इस फैसले के बाद कई राज्य सरकारों ने भी वैट को कम करके लोगों को राहत दी थी। लेकिन पिछले दिनों कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण तेल वितरण कंपनियों की तरफ से 16 दिनों में करीब 14 बार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए गए थे, जिसके बाद केंद्र की ओर से की गई कटौती का प्रभाव खत्म हो गया है।

दरअसल, केंद्र सरकार और राज्य सरकारें पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी और वैट लगाकर कर वसूलते हैं। पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले टैक्स दोनों ही सरकारों की आय का मुख्य स्रोत होती है। भारतीय रिजर्व बैंक के 2020-21 के डाटा के अनुसार केंद्र सरकार की आय का लगभग 18 एक्साइज ड्यूटी से आता है जबकि राज्य सरकारों की 25 से 35 फ़ीसदी तक आय पेट्रोलियम और अल्कोहल पर लगने वाले टैक्स से होती है।

राज्यों की कुल राजस्व प्राप्तियों में से 25- 29 फीसदी हिस्सा केंद्रीय कर हस्तांतरण के रूप में आता है जबकि उसमें स्वयं के कर राजस्व का हिस्सा 45-50 फीसदी तक होता है।

यदि दिल्ली के हिसाब से बात करें, तो मौजूदा समय में केंद्र और राज्य के कर को मिला दे तो पेट्रोल पर 43 फीसदी और डीजल पर 37 फीसदी टैक्स वसूला जा रहा है। वहीं, क्रेडिट एजेंसी आईसीआरए ने बताया कि यदि केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर महामारी से पहले वाली एक्साइज ड्यूटी को फिर से लागू कर देती है तो सरकार को वित्त वर्ष 2202- 23 में 92 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होगा।

पिछले साल नवंबर में केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल पर ₹5 और डीजल पर ₹10 एक्साइज ड्यूटी घटाने के बाद, 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने वैट को 1.8 -10 रुपए तक कम किया था। आरबीआई के स्टेट फाइनेंस रिपोर्ट 2021-22 में कहा गया कि यह कटौती देश के सभी राज्यों की जीडीपी का लगभग 0.8 फीसदी थी।

पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने के बावजूद भी महामारी से पहले के मुकाबले पेट्रोल पर 8 रुपए जबकि डीजल पर 6 रुपए की एक्साइज ड्यूटी अधिक है।

प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल – दिसंबर 2021 के केंद्र सरकार को कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों पर 3.10 लाख करोड़ रुपए की आमदनी हुई थी, जिसमें से एक्साइज ड्यूटी का हिस्सा करीब 2.63 फीसदी है। इसी दौरान देश में सभी राज्य सरकारों ने वैट के जरिए करीब 1.89 लाख करोड़ रुपए की आमदनी हुई थी।

वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार को कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों पर कर से 4.19 करोड़ रुपए की आय हुई थी, जिसमें 3.73 लाख करोड़ रुपए की एक्साइज ड्यूटी और 10,676 करोड़ का सेस शामिल था। वहीं, इस दौरान राज्य सरकारों पेट्रोलियम उत्पादों और पेट्रोल-डीजल पर कर से 2.17 लाख करोड़ रुपए की आय हुई थी, जिसमें 2.03 लाख करोड़ रुपए का वैट शामिल है।

केंद्र सरकार के एक्साइज ड्यूटी कम करने के बाद भाजपा शासित 17 राज्यों ने वैट को कम किया था। इन राज्यों में गुजरात, उत्तर प्रदेश,बिहार, कर्नाटक, हरियाणा, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम शामिल थे। इसके अलावा एक्साइज ड्यूटी कम होने के एक हफ्ते बाद पंजाब और उड़ीसा राज्य की सरकारों ने भी वैट को कम कर लोगों को राहत दी थी।

दिल्ली सरकार की ओर से वैट को दिसंबर में कम किया गया था। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और झारखंड से वैट कम करने को कम कर लोगों को राहत देने की अपील की थी। पीएम मोदी ने कहा था, “वैश्विक संकट के इस समय में संघवाद की भावना का पालन करते हुए सभी राज्य एक टीम की तरह कार्य करें”

(लेखक – आंचल मैगज़ीन और करुणजीत सिंह)



from National News in Hindi, Latest India’s News in Hindi, Hindi National News, नेशनल न्यूज़ - Jansatta | Jansatta https://ift.tt/L7Si3Vr

No comments:

Post a Comment

Monkeypox In India: केरल में मिला मंकीपॉक्स का दूसरा केस, दुबई से पिछले हफ्ते लौटा था शख्स

monkeypox second case confirmed in kerala केरल में मंकीपॉक्स का दूसरा मामला सामने आया है। सूबे के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि दुबई से प...