प्रवर्तन निदेशालय ने इस हफ्ते नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी एमवे इंडिया की 757 करोड़ रु से अधिक की संपत्ति को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जब्त कर लिया। एमवे इंडिया पर मल्टीलेवल मार्केटिंग स्कैम चलाने का आरोप लगा है। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एमवे इंडिया से संबंधित संपत्तियों की कुर्की सालों की मेहनत की परिणति है। कुछ पुलिस अधिकारियों द्वारा एमएलएम कंपनियों में लंबी और गहन जांच की गई है। इसमें आईपीएस वीसी सज्जनार का नाम भी प्रमुख है।
इस मामले में गजन छानबीन करने वाले अन्य आईपीएस अधिकारियों में चारु सिन्हा, जिन्होंने एमवे पर दबाव बनाए रखा। उनके अलावा कुरनूल के पुलिस अधीक्षक के रूप में के. रघुराम रेड्डी ने एमवे इंडिया के प्रबंध निदेशक विलियम स्कॉट पिकनी और द्वारका तिरुमाला राव को गिरफ्तार किया था। अविभाजित आंध्र प्रदेश की तरह किसी अन्य राज्य ने एमवे के खिलाफ मामला नहीं देखा। वीसी सज्जनार, जो अब तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएसआरटीसी) के प्रबंध निदेशक हैं, 2005 में एक युवा एसपी थे। जब वे हुबली के दौरे पर थे, उन्होंने जापान लाइफ नामक एक कंपनी के होर्डिंग विज्ञापन उत्पादों को देखा।
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए वीसी सज्जनार कहते हैं, “मैं इसके बारे में जानना चाहता था और मैंने अपने दोस्तों से होर्डिंग्स के बारे में पूछा। मुझे ऐसा लग रहा था कि सब कुछ सही नहीं है। अगले दिन, यह बताए बिना कि मैं एक पुलिस अधिकारी हूं, मैंने वितरकों द्वारा आयोजित एक मीटिंग में हिस्सा लिया, जहां वे लोगों को बता रहे थे कि वितरक बनकर और सदस्यों को जोड़कर किस तरह जल्दी से पैसे कमाए जाएं।”
सज्जनार ने कहा, “14 अगस्त 2006 को, मैंने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जनता से एमएलएम कंपनियों के जाल में न फंसने की अपील की। उस अपील के कारण एमवे के खिलाफ आर्थिक अपराधों की जांच के लिए डेडिकेटेड एक पुलिस स्टेशन में पहली कार्रवाई योग्य और सबसे विस्तृत एफआईआर दर्ज की गई।”
आईपीएस अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान मालूम हुआ कि एमएलएम कंपनियों के साथ लोगों को जोड़ने को लेकर एक-दूसरे के आपसी रिश्ते खराब होने लगे थे। परिवार के सदस्य और रिश्तेदार एक-दूसरे के खिलाफ हो रहे थे और तलाक की याचिका या पुलिस मामले दर्ज कर रहे थे, या कमीशन पाने के लिए अधिक सदस्यों को नामांकित करने के प्रयास में एक-दूसरे से झगड़ रहे थे। वीसी सज्जनार कहते हैं, “परिवार टूट रहे थे और सामाजिक ताना-बाना टूट रहा था। लोगों ने एमएलएम कंपनियों में निवेश करने के लिए संपत्ति बेची या गिरवी रखी और अपना सब कुछ खो दिया था।”
पीएमएलए के तहत कुर्क की गई कंपनी की कुल 757.77 करोड़ रुपये की संपत्ति में से, अचल और चल संपत्ति 411.83 करोड़ रुपये की है। जांच में खुलासा हुआ कि कंपनी डायरेक्ट सेलिंग मल्टीलेवल मार्केटिंग नेटवर्किंग की आड़ में ‘पिरामिड फ्रॉड’ चला रही है।
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