प्रियरंजन
‘मत थक के बैठ तेरी उड़ान बाकी है, जमीं खत्म हुई तो क्या आसमां बाकी है’! बुधवार को राजपथ से यह संदेश ‘आधी अबादी’ के लिए था। दरअसल, गणतंत्र दिवस परेड की इस अदद झांकी के जरिए भारत ने महिला सशक्तिकरण की अनूठी मिसाल पेश की, साथ ही पड़ोसी पाकिस्तान और चीन को भी बदलते भारत के नजरिए के संदेश दिए। यहां कुछ पल ऐसे आए जब दर्शक दीर्घा में चारों ओर मौजूद लोगों के बीच रफाल की जगह रफाल उड़ाने वाली भारतीय स्त्री का नाम छा गया।
राजपथ पर भारत की पहली महिला रफाल विमान पायलट शिवांगी सिंह का सलामी मंच से गुजरना अनूठा और बेहद रोमांचकारी क्षण रहा। हालांकि इसके अलावा भी राजपथ पर इस बार कई अनूठी चीजें पहली बार हुर्इं। वैश्विक महामारी की वजह से समय और परंपरागत कार्यक्रम में बदलाव भी हुए, लेकिन वहां छटा ऐसी बिखरी कि लोग रोमांच और उल्लास भरपूर लेकर गए।
परेड में वायुसेना की झांकी का हिस्सा बनीं भारत की पहली महिला रफाल विमान पायलट शिवांगी सिंह का राजपथ पर आगमन अद्भुत था, मानो वे संदेश दे रही थीं कि लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं। वे किसी से कम नहीं हैं और ‘अबला’ वाली सोच धराशाई हो चुकी है। उद्घोषक बता रहे थे कि वाराणसी से ताल्लुक रखने वाली शिवांगी 2017 में वायु सेना में शामिल हुर्इं और रफाल से पहले वे मिग-21 बाइसन विमान उड़ाती रही हैं। वे पंजाब के अंबाला स्थित वायु सेना के गोल्डन ऐरोज स्क्वाड्रन का हिस्सा हैं। शिवांगी वायु सेना की झांकी का हिस्सा बनने वाली दूसरी महिला लड़ाकू विमान पायलट हैं। पिछले साल फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ ऐसी पहली महिला लड़ाकू विमान पायलट थीं।
इसके अलावा, झांकी में मिग-21, जी-नेट, हल्के लड़ाकू हेलिकाप्टर और रफाल विमान के स्केल डाउन माडल के साथ-साथ अश्लेषा रडार भी प्रदर्शित किए गए हैं। भारतीय सेना की 61 ‘कैवेलरी रेजीमेंट’ के घुड़सवार सैनिक का दल बुधवार को गणतंत्र दिवस परेड की पहली मार्चिंग टुकड़ी रहा। इस दल का नेतृत्व मेजर मृत्युंजय सिंह चौहान ने किया।
यह वर्तमान में दुनिया में सक्रिय एकमात्र घुड़सवार इकाई है। 61 कैवेलरी रेजीमेंट का गठन 1953 में सभी राज्यों की अश्व इकाइयों को मिला कर किया गया था। रेजीमेंट ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1918 में हाइफा की लड़ाई में तुर्कों का मुकाबला किया था। रेजीमेंट को कुल 39 युद्ध सम्मान हासिल है। इसका नारा ‘अश्व-शक्ति यशोबल’ है, जिसका अर्थ है- अश्व शक्ति सर्वोच्च है।
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