भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी), बंगलुरु के शोधकर्ता कोरोना विषाणु संक्रमण को रोकने की दवा बनाने के करीब पहुंच गए हैं। इन शोधकर्ताओं ने मानव शरीर में पाए जाने वाले ‘पिकोलिनिक एसिड’ (पीए) के विषाणुरोधी गुण के बारे में पता लगाया है। ‘पिकोलिनिक एसिड’ कोरोना विषाणु को मानव शरीर में घुसने से रोकता है जिससे व्यक्ति संक्रमित नहीं हो पाता है।
आइआइएससी, बंगलुरु की एक 14 सदस्यीय टीम ने यह खोज की है। इस टीम के सदस्य शशांक त्रिपाठी ने बताया कि हमने ‘पिकोलिनिक एसिड’ का उपयोग प्रयोगशाला में और जानवरों पर किया है। अब इसका मानव शरीर पर नैदानिक परीक्षण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दवा के विकास के लिए हमें फार्मा साझेदारों की तलाश है।
त्रिपाठी ने बताया कि कोई विषाणु मानव शरीर को संक्रमित करने के लिए तीन चरण अपनाता है। पहला जब विषाणु मानव कोशिका में प्रवेश करता है। दूसरा, मानव कोशिका में विषाणु अपनी संख्या को बढ़ता है और तीसरा बड़ी संख्या में पैदा हुए विषाणु कोशिका से बाहर आकर अन्य कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं। उन्होंने बताया कि मानव शरीर में ‘पिकोलिनिक एसिड’ प्राकृतिक रूप से बनता है। उन्होंने बताया कि हमें अपने शोध में पता चला कि ‘पिकोलिनिक एसिड’ आवरणयुक्त विषाणुओं (एनवल्पड वायरस) को मानव कोशिका में प्रवेश करने से रोकता है। कोरोना विषाणु (सार्स-कोव-2), इनफ्लूएंजा ए वायरस (आइएवी), जीका, डेंगू आदि आवरणयुक्त विषाणु के उदाहरण हैं।
त्रिपाठी ने बताया कि ‘पिकोलिनिक एसिड’ से बनने वाली दवा को कोरोना विषाणु के संक्रमण से पहले या संक्रमण के दौरान कभी भी लिया जा सकता है। दोनों ही परिस्थितियों में यह संक्रमण को रोकेगी। उन्होंने बताया कि यह दवा मुंह के माध्यम से या टीके के जरिए ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह दवा ‘रोटा’ जैसे गैर आवरणयुक्त विषाणुओं पर प्रभावकारी नहीं होगी। इस शोध के लिए आइआइएससी की ओर से पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है।
The post कोरोनारोधी दवा बनाने के करीब भारतीय वैज्ञानिक appeared first on Jansatta.
from राष्ट्रीय – Jansatta https://ift.tt/Jv9f41Z
No comments:
Post a Comment