नवीन पटनायक और जगन्नाथ रेड्डी को लेकर यशवंत सिन्हा ने कहा कि वो विपक्षी खेमे का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार चुनने को लेकर हुई विपक्षी दलों की बैठक में बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस को बुलाया ही नहीं गया था, इसलिए इस बात से कोई आश्चर्य भी नहीं है कि वो एनडीए की उम्मीदवार का समर्थन करने वाले हैं। वहीं, महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की है कि वो राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करेंगे।
यशवंत सिन्हा ने कहा कि बीजद और वाईएसआर कांग्रेस को विपक्षी दल भी अपना हिस्सा नहीं मानते हैं। वहीं, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेकर उन्होंने कहा कि समर्थन को लेकर उनके मन में क्यों दुविधा है मुझे नहीं पता, जबकि विपक्षी दलों की बैठक में झारखंड मुक्ति मोर्चा भी शामिल थी।
उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ में भी बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं। वहां के सारे आदिवासी विधायकों और मंत्रियों ने मुझसे मुलाकात की और समर्थन देने की बात की। ना ही उनके मन में यह दुविधा थी कि वो किसे वोट दें क्योंकि मेरे सामने एक आदिवासी महिला खड़ी हैं, जो किसी खास ट्राईब से हैं।”
उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाने के लिए कई बैठकें की थीं, लेकिन अब उनके सुर बदल गए हैं। उनका कहना है कि अगर द्रौपदी मुर्मू के नाम की चर्चा बीजेपी ने उनके साथ की होती, तो वह विचार करतीं। उन्होंने कहा कि द्रौपदी मुर्मू के जीतने की उम्मीद ज्यादा है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की महिलाओं के लिए हमारे मन में काफी सम्मान है। हालांकि विपक्षी दल जो फैसला लेंगे, हम उसके साथ रहेंगे।
गौरतलब है कि 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग की जाएगी और 21 जुलाई को उसके नतीजे आएंगे। राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 98 लोगों ने नामांकन किया था, जिनमें से 96 का नोमिनेशन रिजेक्ट कर दिया गया है। इसके बाद अब मुकाबला यशवंत सिन्हा और द्रौपदी मुर्मू के बीच है।
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