Thursday, July 14, 2022

इतना तो मानेंगे कि संसद में मर्यादा की सीमा लांघी जाती है, एंकर के सवाल पर बोले कांग्रेस नेता- विपक्षी आवाज ‘म्यूट’ कर दी जाती है, बोलने नहीं दिया जाता

असंसदीय शब्दों की सूची को लेकर मचे घमासान के बीचे कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा, लोकसभा जब चलती है तो सदन चीजों को डिसाइड करता है बहुत से शब्द जो अमर्यादित या असंसदीय में नहीं होते हैं किसी ने ऐसे शब्द कह दिए और इस पर किसी ने आपत्ति की उसपर सदन अगर कहे कि इसे हटा दिया जाए तो हटा दिया जाता है ऐसा नहीं है कि सदन में असंवेदनशील लोग बैठे होते हैं। वो लोग भी अच्छी तरह से ये जानते हैं कि क्या संसदीय है और क्या असंसदीय है। लोकतंत्र में विपक्ष का काम निगरानी करने का होता है सरकार की नीतियों का कार्यक्रमों का।

जब अखिलेश सिंह से एंकर ने सवाल पूछा कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान की जो विधानसभा है वहां से भी कुछ ऐसे ही शब्दों को एक्सपंच करने की मांग आई है उन शब्दों को भी शामिल कीजिए वहां पर तो आपकी ही सरकार है। छत्तीसगढ़ में अक्षम सरकार, राजस्थान में कांव-कांव करना, तलवे चाटना, तड़ीपार, तुर्रम खान, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे ऐसे शब्दों को राजस्थान विधानसभा से एक्सपंच करने की मांग आई है, क्या मतलब था इसको वहां एक्सपंच करने का? इस पर अखिलेश सिंह ने कहा, अब किस-किस सरकार में लिया गया और क्या लिया गया अगर वहां भी लिया गया होगा तो वहां भी उसका विरोध किया गया होगा।

संसद में कितनी मर्यादा लांघी जाती है आपको पता हैः अखिलेश
बात ये है कि आज जो पूरे हिन्दुस्तान की सरकार है वो हर मोर्चे पर फेल है और जो फेल है और उसके काम कहीं भी जनता के मानक में और उसके अनुरूप नहीं है। इसी दौरान जब एंकर ने उनसे पूछ लिया कि आप इतना तो मानेंगे कि संसद में मर्यादा की सीमा लांघी जाती है? कहीं न कहीं कोई न कोई नियंत्रण तो होना चाहिए ये तो मानेंगे आप कौन तय करे कैसे शब्द इस्तेमाल किए जाएंगे वो तो मानेंगे आप? इस पर अखिलेश यादव ने जवाब देते हुए कहा अरे संसद में कितनी मर्यादा लांघी जाती है ये आपको कहां पता है आपको मालूम है कि संसद में बोलते हुए विपक्ष के नेता की आवाज म्यूट कर दी जाती है।

विपक्षी नेताओं की आवाज म्यूट कर दी जाती हैः अखिलेश
विपक्षी नेताओं को बोलने नहीं दिया जाता है, उसकी आवाज दबा दी जाती है लिखने या बोलने का समय तो बाद में आता है। जो समय मिलता है उस समय को डिस्टर्ब करवा दिया जाता है ये सब नहीं होता है क्या? बिना प्रोसीजर्स के वोट पड़ जाते हैं बिल पास करवा लिए जाते हैं राज्यसभा से अगर आप गंभीरता से बात करते हैं तो ये एक गंभीर विषय है। जो लोकसभा या राज्यसभा की प्रोसिडिंग्स हैं वो व्यवस्थित तरीके से चलें। लोगों को अपनी बात रखने का मौका मिले और उनकी आवाज को म्यूट ना किया जाए, उनका माइक डाउन न किया जाए कैमरे न हटाए जाएं।



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