केंद्र सरकार ने विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) 2011 में सात बदलाव किए हैं। इस बदलाव को लेकर सरकार का कहना है कि इससे उन विदेशी चंदों पर रोक लगेगी, जिससे भारत की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
नए नियम, जिसे अब विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन नियम, 2022 का नाम दिया गया है, शुक्रवार यानि कि 1 जुलाई से लागू हो गया है। गृह मंत्रालय की तरफ से इस कानून को लेकर एक अधिसूचना जारी की गई है, साथ ही आधिकारिक राजपत्र में इसे प्रकाशित भी किया गया है।
अधिसूचना में कहा गया है- “विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (2010 का 42) की धारा 48 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार विदेशी अंशदान (विनियमन) नियम- 2011 में और संशोधन करके निम्नलिखित नियम बनाती है। ये नियम विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन नियम- 2022 कहा जाएगा।”
नए नियमों में सात संशोधन हुए हैं। उनमें से नियम 6 में “एक लाख रुपए” की जगह “दस लाख रुपए” लाया गया है। नियम 9 में भी एक संशोधन है, उप-नियम (1) में, खंड (ई) में, “पंद्रह दिन” के स्थान पर “पैंतालीस दिन” लाया गया है। नियम 13 के खंड (बी) को नए नियमों से हटा दिया गया है और नियम 17क में, “पंद्रह दिन” शब्दों के स्थान पर “पैंतालीस दिन” का नियम लाया गया है।
इस कानून के मूल नियम 29 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित किए गए थे। बाद में इसमें कई बार संसोशधन किया गया था। बता दें कि इसी कानून के सहारे देश में मोजूद एनजीओ के विदेशी चंदों पर नजर रखी जाती है। ताकि देश की सुरक्षा से कोई समझौता न हो सके। अगर किसी एनजीओ को विदेशी चंदा चाहिए तो उसे पहले इस कानून के तहत रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है। रजिस्ट्रेशन के बाद है उस एनजीओ को विदेशों से चंदा मिल सकता है।
यह अधिनियम पूरे भारत में लागू होता है साथ ही भारत के बाहर रहने वाले देश के नागरिकों पर भी लागू होता है। भारत में पंजीकृत कंपनियों या निकायों की सहयोगी शाखाओं या सहायक कंपनियों को भी इस अधिनियम के नियमों का पालन करना होता है।
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