महाराष्ट्र की सियासत में मचे घमासान को लेकर चल रही एक टीवी डिबेट में राजनीतिक विश्लेषक ने उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए उन्हें सोनिया सैनिक बताया है। पैनलिस्ट अजय आलोक ने कहा कि यह घटनाक्रम परिवार चलित पार्टियों के लिए खतरनाक संकेत लेकर आया है कि परिवारों द्वारा संचालित पार्टियां कभी भी अपनी ही पार्टी से बेदखल की जा सकती हैं, जो आज उद्धव ठाकरे के साथ हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस, आरजेडी, सपा सभी के भविष्य के लिए यह संकेत है, उद्धव जी के साथ जो हुआ, सत्ता तो गई, लेकिन अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि शिवसेना किसके पास रहेगी- सोनिया सैनिकों के पास या शिवसैनिकों के पास?
शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे दावा कर रहे हैं कि उन्हें 41 से ज्यादा विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इस पर अजय आलोक ने कहा, “सुनने में आ रहा है कि सांसद भी जा रहे और विधायक भी और सच्चाई है कि अगर वो सदन में 41 एमएलए लेकर खड़े हो जाएंगे तो सदन का नेता उन्हें ही बनाया जाएगा। फिर वो असली शिवसेना होगी।”
इस तरह खत्म हो जाएगा एक पार्टी में एक परिवार का युग
उन्होंने आगे कहा कि फिर बाकी 14 विधायक भी ठाकरे जी की वफादारी में अपनी सदस्यता खोने के बजाय उन्हीं विधायकों के पास ही जाएंगे। इसके साथ ही एक पार्टी में एक परिवार का युग समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि ये बाकी परिवार चलित पार्टियों के लिए चेतावनी है कि उनके साथ भी ऐसा हो सकता है। उन्होंने महाविकास अघाड़ी गठबंधन पर सवाल उठाते हुए कहा कि कहीं की ईंट कहीं का रौढ़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा, अलग-अलग विचाराधारा का यह एक्सपेरीमेंट हमेशा फ्लॉप करता है। चाहे बीजेपी ने किया हो या MVA हो।
इस पर कांग्रेस पार्टी के पूर्व सांसद हुसैन दलवई ने कहा कि मुझे लगता है कि कितने भी विधायक चले जाएं, लेकिन शिवसेना उद्धव ठाकरे के पास ही रहेगी क्योंकि उन्होंने पार्टी बनाई। दलवई ने कहा कि यह पार्टी मराठियों के हक की लड़ाई के लिए बनाई गई थी, सिर्फ हिंदुत्व पर नहीं बनी। शिवसेना ने एक गलती जरूर की कि वो बीजेपी के साथ गई।
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