Friday, June 17, 2022

जाटलैंड पर नजर: बीजेपी के साथ गठबंधन में रहे हनुमान बेनीवाल ने अग्निपथ विरोधी प्रदर्शनों में कैसे भड़काई आग, पढ़ें पूरा सियासी खेल

अग्निपथ योजना का तमाम विपक्षी दल विरोध रहे हैं और इसको लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। इस योजना का विरोध राजस्थान में भी शुरू हो गया है जहां एनडीए गठबंधन का हिस्सा रही आरएलपी ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एक तरफ, कांग्रेस पार्टी सोनिया गांधी और राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय के नोटिस के विरोध में राजभवन का घेराव कर रही थी, दूसरी तरफ, हनुमान बेनीवाल बड़ी संख्या में आरएलपी कार्यकर्ताओं के साथ जयपुर कलेक्ट्रेट में अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

सेना में भर्ती की तैयारी करने वाले गुस्साए युवाओं और इस योजना को वापस लेने की मांग कर रहे पूर्व सैनिकों के साथ खड़े बेनीवाल ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि यह विरोध एक ‘ट्रेलर’ है, पूरी पिक्चर अभी बाकी है। बेनीवाल ने अग्निपथ योजना को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा, “ये देशभक्ति का भद्दा मज़ाक देश की सरकार ने उड़ाया है। अग्निपथ के तहत 75 फीसदी रंगरूट चार साल बाद कहां जाएंगे? उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग दी जाएगी। अगर उन्हें नौकरी नहीं मिली तो वे गैंगवार शुरू कर देंगे।”

आरएलपी कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों ने राजस्थान के अलग-अलग जिलों में विरोध प्रदर्शन किया और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने दिल्ली तक मार्च करने की चेतावनी दी। अग्निपथ योजना को लेकर जारी विरोध पर आरएलपी की प्रतिक्रिया पिछले साल तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन पर पार्टी की प्रतिक्रिया से काफी अलग रही है।

अगस्त-सितंबर 2020 में कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध शुरू होने के कुछ महीने बाद तक आरएलपी ने चुप्पी साधे रखी और जब आंदोलन बड़े स्तर पर पहुंचा तब बेनीवाल ने दिसंबर 2020 में एनडीए से अलग होने का फैसला किया। अग्निपथ योजना पर विरोध के बीच, आरएलपी जिस तेजी से आगे आई है और अपने कार्यकर्ताओं को अलग-अलग जिलों में विरोध प्रदर्शन के लिए निर्देश दे रही है, ये इस बात की तरफ इशारा करता है कि साढ़े तीन साल पुरानी पार्टी राजस्थान में तीसरी राजनीतिक ताकत के रूप में खुद को स्थापित करना चाहती है।

पार्टी इस योजना का विरोध कर रहे युवाओं का साथ देकर बहुत कुछ हासिल करना चाहती है। आरएलपी खुद को “जवानों और किसानों” की पार्टी बताती रही है और पार्टी को मुख्य रूप से जाटों का समर्थन प्राप्त है। इसी सहारे अब बेनीवाल राज्य में सबसे प्रभावशाली जाट नेता के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।



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