Tuesday, May 31, 2022

जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाने की तैयारी कर रही सरकार, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने बताया

केंद्र सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए जल्द ही कानून लाने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने मंगलवार (31 मई, 2022) को कहा कि देश में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार कानून लेकर आने वाली है।

वैसे तो काफी समय से जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून लाने की मांग उठती रही, लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे की अपील के बाद यह फिर से चर्चा में आ गया है। उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की केंद्र सराकर से अपील की थी। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समान नागरिक संहिता लागू करने की भी मांग की थी। वहीं, केंद्रीय सामाजिक न्याय और आधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने भी जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर राज ठाकरे का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि वह “हम दो हमारे दो” से सहमत हैं।



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बीजेपी के 477 करोड़ के मुकाबले कांग्रेस को महज 74.5 करोड़ का चंदा, चुनाव आयोग ने घोषित की 2020-21 की रिपोर्ट

नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद बीजेपी की हर तरफ बल्ले-बल्ले है। एक तरफ चुनावों में बीजेपी धड़ाधड़ जीत हासिल कर रही वहीं दूसरी तरफ उसका खजाना भी दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। चुनाव आयोग की रिपोर्ट है कि चंदे के मामले में बीजेपी देश की सबसे अग्रणी पार्टी है। कांग्रेस की तुलना में उसे तकरीबन 7 गुना धन मिला है।

निर्वाचन कानून के प्रावधानों के मुताबिक राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से अधिक के चंदे से जुड़ी जानकारी देनी होती है। जो जानकारी राजनीतिक दलों ने आयोग को दी इसके मुताबिक भाजपा को 2020-21 में 477.5 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जबकि विपक्षी कांग्रेस को 74.50 करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिले।

आयोग ने दोनों दलों की चंदे से जुड़ी रिपोर्ट मंगलवार को सार्वजनिक की। भाजपा ने चंदे की रिपोर्ट गत 14 मार्च को आयोग को सौंपी थी। जबकि कांग्रेस ने उससे कुछ पहले चुनाव आयोग को चंदे की सारी जानकारी दी थी। कांग्रेस को मिला चंदा बीजेपी को मिली रकम का महज 15 फीसदी है। वहीं भाजपा को कांग्रेस से छह गुना से ज्यादा चंदा मिला।

हालांकि ये पहली बार नहीं है जब चंदे के मामले में बीजेपी ने दूसरे दलों को पीछे छोड़ा है। 2019-20 की रिपोर्ट के मुताबिक संपत्ति के मामले में तब भी भाजपा पहले नंबर पर थी। मायावती की बहुजन समाज पार्टी तब दूसरे नंबर पर थी। जबकि कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी। 2019-20 में भाजपा ने अपनी संपत्ति 4847 करोड़ रुपये घोषित की थी। यह देश के सभी राजनीतिक दलों में सबसे अधिक है। वहीं, कांग्रेस ने तब अपनी संपत्ति 588.16 करोड़ रुपये घोषित की थी।

ADR की रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 के दौरान सात इलेक्टोरल ट्रस्टों का कहना है कि उन्हें कारपोरेट और व्यक्तिगत मद में कुल 258.4915 करोड़ रुपये मिले। इनमें से 258.4301 विभिन्न दनों को बांटे गए। इसमें से बीजेपी को 212.05 करोड़ यानि कुल रकम का 82.05 फीसदी हिस्सा मिला। सबसे बड़े इलेक्टोरेल ट्रस्ट प्रूडेंट ने 209 करोड़ रुपये बीजेपी को दिए। 2019-20 के दौरान उसने बीजेपी को 217.75 करोड़ रुपये का चंदा दिया था।



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Monkeypox Guidelines: अगर दिखेंगे लक्षण तो होना पड़ेगा 21 दिनों के लिए आइसोलेट, मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे के बीच गाइडलाइन जारी

केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। हालांकि भारत में अभी तक इसका कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए रोग के प्रबंधन को लेकर गाइडलाइन जारी की है।

दिशा-निर्देशों में इस बीमारी की जटिलताओं, नैदानिक विशेषताओं, जोखिम और संक्रमण के रोकथाम व नियंत्रण (आईपीसी) को लेकर अलर्ट किया गया है। इसमें रोग की रोकथाम और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों और नए मामलों की तुरंत पहचान कर इलाज देने पर जोर दिया गया है। मंकीपॉक्स संक्रमित को कम से कम 21 दिनों के लिए आइसोलेशन में रहना होगा और इस दौरान इलाज पर खास ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं।

गाइडलाइंस में इस बात पर खास ध्यान दिया गया है कि बीमारी के बारे में जल्द से जल्द और ज्यादा से ज्यादा जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाए, ताकि अगर संक्रमण का कोई मामला सामने आता है, तो समय पर उसकी पहचान कर उससे दूरी बना ली जाए। जैसे कि बीमार व्यक्ति की किसी भी सामग्री के संपर्क से बचना, संक्रमित रोगी को दूसरों से अलग रखना, हाथ की स्वच्छता और रोगियों की देखभाल करते समय उचित व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का उपयोग करना।

कैसे बचें-
मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण को रोकने के लिए किए जा सकने वाले प्रमुख उपाय:
संक्रमित रोगियों को अन्य लोगों से अलग करें जिन्हें संक्रमण का खतरा हो सकता है।
संक्रमति से जुड़ी किसी भी चीज के संपर्क में आने से बचें, जैसे कि बिस्तर।
हाथों की अच्छी स्वच्छता का खास ख्याल रखें। उदाहरण के लिए, अपने हाथों को साबुन और पानी से धोना या अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करना।
मरीजों की देखभाल करते समय मास्क और दस्ताने का प्रयोग करें।

परीक्षण
दिशानिर्देशों के अनुसार, पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर)/ अनुक्रमण द्वारा वायरल डीएनए के अद्वितीय अनुक्रमों का पता लगाकर मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के मामले की पुष्टि की जाती है। सभी नमूनों को संबंधित जिले/राज्य के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) नेटवर्क के माध्यम से आईसीएमआर-एनआईवी (पुणे) की शीर्ष प्रयोगशाला में भेजा जाएगा।

कई मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स को एंडेमिक बीमारी के रूप में वर्णित किया गया है। जैसे: कैमरून, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोटे डी आइवर, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, गैबॉन, लाइबेरिया, नाइजीरिया, कांगो गणराज्य और सिएरा लियोन। हालांकि, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, इजरायल, स्विट्जरलैंड आदि जैसे कुछ गैर-स्थानिक देशों में भी मामले सामने आ चुके हैं।



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Singer KK passes away at the age of 53 after live performance in Kolkata

Well-known Bollywood singer Krishnakumar Kunnath, popularly known as KK, died in Kolkata on Tuesday night, officials said. He was 53.

KK was feeling unwell after reaching his hotel, following a performance at a concert in the evening where he sang for almost an hour, officials said. He was taken to a private hospital in south Kolkata where doctors declared him brought dead, they said.

Apart from fans, several members from the entertainment fraternity including Rahul Vaidya, Ashoke Pandit and others expressed their grief on social media.

"It's unfortunate that we could not treat him," a senior official of the hospital said. KK, known as a versatile singer, has recorded songs in Hindi, Tamil, Telugu, Kannada, Malayalam, Marathi and Bengali, among other languages.

(With Inputs from PTI)

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कर्नाटकः शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगा शिक्षाविदों व लेखकों ने लगाई इस्तीफों की झड़ी, जानें क्या है पूरा मामला

कर्नाटक में पाठ्यपुस्तक में संशोधन और टेक्सटबुक रिव्यू कमेटी के अध्यक्ष रोहित चक्रतीर्थ के खिलाफ कार्रवाई न करने पर कई लेखकों ने राज्य सरकार की समिति से इस्तीफा दे दिया है। लेखकों ने अध्यक्ष पर कथित तौर पर राज्यगान कुवेम्पु का अपमान करने का आरोप लगाया है। रोहित चक्रतीर्थ के खिलाफ विरोध अब और तेज होने की संभावना है। शिक्षा के भगवाकरण के मुद्दे पर विपक्ष, प्रगतिशील छात्रों के साथ रक्षण वेदिके ने चक्रतीर्थ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

विपक्ष का कहना है कि कर्नाटक की बसवराज बोम्मई सरकार ने स्कूलों में दसवीं कक्षा के छात्रों को आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के बारे में पढ़ाने का फैसला लिया है। विपक्ष ने सरकार पर राज्य की शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एक तरफ हेडगेवार के पाठ्यक्रम शामिल हो रहे हैं वहीं भगत सिंह और मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान को पाठ्यक्रम पुस्तकों से हट रहे हैं।

द वायर की खबर के मुताबिक राष्ट्रकवि व डॉ. जीएस शिवारूदप्पा प्रतिष्ठान के पूर्व अध्यक्ष लेखक एसजी सिद्धारमैया, एचएस राघवेंद्र राव, नटराज बुदालु और चंद्रशेखर नांगली ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को पत्र लिखा। इस्तीफे का जिक्र करते हुए पत्र में लिखा गया कि राज्य की शिक्षा, संस्कृति तथा राजनीतिक परिदृ्श्य का दमन और हालिया असंवैधानिक हमलों ने हम लोगों को चिंता में डाल दिया है। राज्य तथा संघीय ढांचे को नजरंदाज करते हुए खुले तौर पर सांप्रदायिक नफरत की बात करने वालों पर सरकार की चुप्पी और उन पर कार्रवाई न होने से वो सभी हताश और परेशान हो गए हैं।

वरिष्ठ लेखक और विद्वान हम्पा नागरजैया ने भी राष्ट्रकवि कुवेम्पु प्रतिष्ठान के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं प्रसिद्ध शिक्षाविद् वीपी निरंजनाराध्या ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर उनके काम के लिए उन्हें सम्मानित करने के राज्य सरकार के निमंत्रण को ठुकरा दिया है।

उन्होंने निमंत्रण के जवाब में लिखा कि राज्य सरकार ने शिक्षा का सांप्रदायिकरण और भगवाकरण किया है। प्रक्रिया में किसी भी पाठ्यक्रम ढांचे, संवैधानिक मूल्यों और शिक्षा नीति का पालन नहीं किया गया है। कन्नड़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष महेश जोशी ने भी कुवेम्पु और राज्यगान को अपमानित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।



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Monday, May 30, 2022

ब्रिटेन : ब्रेक्जिट के बाद पाउंड और औंस की वापसी पर मंथन

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी की प्लेटिनम जुबली के अवसर पर कथित तौर पर माप की राजशाही व्यवस्था यानी पाउंड और औंस की वापसी की घोषणा करने की तैयारियों में जुटे हैं। इसे ब्रेक्जिट के बाद यूरोपीय माप प्रणाली से अलग होने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, ब्रिटिश सिंहासन पर 96 वर्षीय महारानी के काबिज होने के 70 साल पूरे होने के जश्न के तहत की जाने वाली घोषणाओं के एक हिस्से के रूप में जानसन देश पर यूरोपीय संघ (ईयू) के एक और प्रभाव को खत्म करने की तैयारी कर रहे हैं। इसे कोविड-19 की रोकथाम के लिए लागू पूर्णबंदी का उल्लंघन कर डाउनिंग स्ट्रीट में दावत आयोजित किए जाने से नाराज ब्रेक्जिट सम र्थक मतदाताओं को मनाने की जानसन की एक कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।

मौजूदा समय में इंग्लैंड, स्काटलैंड और वेल्स में डिब्बाबंद या खुला सामान बेचने वाले दुकानदार कानूनी रूप से मीट्रिक माप इकाई, मसलन ग्राम, किलोग्राम, मिलीलीटर और लीटर का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य हैं। वजन मापने की मीट्रिक प्रणाली में जहां 1,000 ग्राम को एक किलोग्राम के बराबर माना जाता है, वहीं शाही प्रणाली के तहत एक स्टोन में 14 पाउंड, जबकि एक पाउंड में 16 औंस होते हैं।

हालांकि, ब्रिटेन में अभी भी पाउंड और औंस में सामान की कीमत निर्धारित करना वैध है, लेकिन इसके साथ ग्राम और किलोग्राम में दाम दर्शाना भी जरूरी है। साल 2000 में यूरोपीय संघ के वजन और मा प संबंधी दिशा-निर्देश लागू होने के बाद व्यवसायों के लिए ताजा उपज की बिक्री के लिए मीट्रिक इकाइयों का इस्तेमाल करना अनिवार्य हो गया था।

ब्रेक्जिट के बाद के कदम के तहत ब्रिटेन में मीट्रिक इकाइयों को पूरी तरह से खत्म किए जाने की उम्मीद नहीं है, लेकिन दुकानदारों को यह चुनने की आजादी मिल सकती है कि वे किस माप प्रणाली का इस्तेमाल करना चाहते हैं। जानसन ने 2019 में अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान शाही माप प्रणाली को वापस लाने का भरोसा दिलाया था। पारंपरिक माप प्रणाली के प्रति ‘उदारता और सहिष्णुता के नए युग’ की शुरुआत करते हुए उन्होंने दावा किया था कि पाउंड और औंस में माप की व्यवस्था एक ‘प्राचीन आजादी’ है।



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लू की लपटों के बीच खाद्य संकट

कोयले और गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों को जलाने से भारत और पाकिस्तान में हाल के दिनों में लू की लपट महसूस की जा रही है। झुलसाने वाली तपिश में भारत और पाकिस्तान में कम से कम 90 लोगों की मौत दर्ज की गई है। जलवायु वैज्ञानिकों के अंतरराष्ट्रीय समूह- वर्ल्ड वेदर एट्रीब्युशन (डब्लूडब्लूए) की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर इंसानी दखल नहीं होता तो तापमान एक डिग्री सेल्सियस कम होता और इसकी आशंका 30 गुना कम होती। पिछले सप्ताह, ब्रिटेन के मौसम विभाग से जारी एक आकलन के मुताबिक इंसानी दखल ने बेतहाशा गर्मी की आशंका को सौ गुना बढ़ा दिया है।

इन विश्लेषणों में इस ओर भी ध्यान दिलाया गया है कि कार्बन प्रदूषण पहले ही समाज पर अपना कहर बरपा रहा है। भीषण गर्मी से भारत में जंगल जल उठे हैं, ग्लेशियर पिघलने लगे हैं, जिसके चलते पाकिस्तान में आकस्मिक बाढ़ की घटनाएं बढ़ी हैं और दोनों देशों में बिजली गुल होने लगी है। फसलों की पैदावार पर भी असर पड़ा है।

आइआइटी दिल्ली में वैज्ञानिक और डब्लूडब्लूए शोध के सहलेखक कृष्णा अच्युताकाव के मुताबिक, ‘भविष्य में वैश्विक तापमान के लिहाज से जाहिर है इस किस्म की लू आम और ज्यादा तीव्र हो जाएंगी।’ विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि फसल पर पड़ने वाला असर विशेष तौर पर चिंताजनक है। मौसमी परिघटनाओं के अध्ययन से जुड़ी संयुक्त राष्ट्र की एजंसी- विश्व मौसम संगठन की पिछले बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन संघर्ष, जलवायु, कोविड और अर्थव्यवस्था के संकटों की कड़ियां, खाद्य सुरक्षा के लिहाज से दशकों के विकास को पहले ही कमतर कर चुकी थी।

आधा पेट भोजन करने वाले लोगों की संख्या में दशकों तक जारी गिरावट के बाद, 2010 के दशक में सपाट हो गई थी, लेकिन 2020 में उसमें भारी वृद्धि का अनुमान है। यूक्रेन पर रूसी हमले ने दुनिया के दो सबसे बड़े गेहूं निर्यातक देशों से अनाज के निर्यात को बाधित कर दिया है। इस महीने के शुरू में, चीन के बाद गेहूं के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश भारत ने गर्मी से झुलस चुके खेतों और बर्बाद हुई फसलों को देखते हुए निर्यात पर रोक लगा दी है।

डब्लूडब्लूए अध्ययन में शामिल, अंतरराष्ट्रीय रेड क्रास – रेड क्रेसेंट क्लाइमेट सेंटर में रिस्क मैनेजमेंट की विशेषज्ञ अदिति कपूर का कहना है कि फसल जब पक कर तैयार होने को थी तभी गेहूं पर तीखी गर्मी की मार पड़ी। अनुमान है कि भारत के 10 से 30 फीसद गेहूं पर इसका असर हुआ। पहले तो किसान प्रभावित हुए, और जब कीमतों में उछाल आया तो खाना खरीदने वाले गरीब लोगों पर असर पड़ा।

पिछले साल एनर्जी रिसर्च एंड सोशल साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया कि वर्ष 1965 और 2018 के बीच, धरती को गर्म करने वाले एक तिहाई जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन और सीमेंट उत् पादन के लिए, 20 कंपनियां जिम्मेदार थीं। इसमें उन जीवाश्म ईंधनों का प्रदूषण भी शामिल था जो इन कंपनियों ने तीसरी पार्टी को बेचा था।

चार सबसे बड़ी, निवेशकों के स्वामित्व वाली जीवाश्म ईंधन कं पनियां- शेवरान, एक्सानमोबिल, बीपी और शेल, 11 फीसद उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार थीं। वैश्विक जलवायु में लू का अप्रत्यक्ष असर हो सकता है। यह ग्लेशियर को गला सकती हैं, आकस्मिक बाढ़ भी ला सकती हैं। ऐसी ही एक बाढ़ ने मई में पाकिस्तान में भयंकर तबाही मचाई थी और पुल बह गए थे। अपेक्षाकृत गर्म हवा ज्यादा नमी सहन कर लेती है, जिसके चलते ज्यादा भारी बारिश आती है। जबकि दूसरे जलवायु कारक दूसरे ढंग से काम कर सकते हैं।

पिछले सप्ताह असम और अरुणाचल प्रदेश जैसे पूर्वोत्तर के राज्य भारी बारिश और गर्मी की दोहरी तबाही में फंस गए थे। औद्योगिक क्रांति की शुरुआत से लोग धरती को करीब 1.1 डिग्री सेल्सियस गर्म पहले ही कर चुके हैं। वर्ष 2015 में विश्व नेताओं ने एक समझौते पर दस्तखत कर, वैश्विक तापमान में कटौती के लिए उसे इस शताब्दी के आखिर तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने की कोशिश पर सहमति बनी थी।

हालांकि हो ये रहा है कि कई देश ऐसी नीतियों पर आमादा हैं जो उपरोक्त ऊपरी सीमा से करीब दोगुना हैं। अगर वैश्विक तापमान दो डिग्री सेल्सियस ज्यादा तक पहुंचता है, तो डब्लूडब्लूए की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान पर हाल में बरपा, लू के कहर का खतरा आज के मुकाबले दो से 20 गुना ज्यादा होगा और तापमान 0.5 से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होगी।



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ब्रांड मोदी के सहारे बीजेपी का मिशन 2024, नए रूप और नए तेवर से मिलेगी जीत!

पीएम नरेंद्र मोदी ने जबसे कहा है कि वो एक और पारी के लिए तैयार हैं तबसे बीजेपी बेहद आक्रामक हो गई है। भारत के सबसे अच्छे प्रधानमंत्रियों की रेस में अक्सर पंडित जवाहर लाल नेहरू से नरेंद्र मोदी की तुलना की जाती है। बीजेपी मानती है कि मोदी देश के सबसे अच्छे पीएम हैं। खुद मोदी भी चुनावी सूबों में हो रही रैलियों में अपना बदला चेहरा दिखा रहे हैं। इसकी बानगी तब मिली जब उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं का अपना महत्व है। विविधता ही देश की शान है। यानि पीएम ने साफ कर दिया कि वो नहीं चाहते कि हिंदी थोपी जाए।

देश के कुछ सूबों में पिछले कुछ अर्से से हिंदी को लेकर बेवजह का विवाद चल रहा है। जबसे अमित शाह ने कहा कि हिंदी को हर जगह अमल में लाया जाना चाहिए तबसे गैर हिंदी भाषी राज्य बीजेपी के सीधे विरोध में आ खड़े हुए। यहां तक कि खुद बीजेपी के दक्षिण भारतीय नेता इसके विरोध में हो गए। 29 मई को मन की बात में 89वें एपिसोड में मोदी ने जो कहा उससे अमित शाह के वन नेशन वन लैंग्वेज वाले एजेंडे को उन्होंने पूरी तरह से नकार दिया। वो बोले कि विविधता हमारी पहचान है।

मोदी जिस तरह से भाषण दे रहे हैं उससे साफ है कि वो 2024 के लिए अपनी बदली इमेज जनता के सामने रखना चाहते हैं। गुजरात की रैलियों में वो विकास की बात करते हैं। उनका जोर होता है कि लोगों से जुड़ी स्कीमें 100 फीसदी इंप्लीमेंट की जाएं। वो कहते हैं कि उनका मिशन अभी पूरा नहीं हुआ। दूसरी तरफ देश में जिस तरह का माहौल है। बीजेपी शासित राज्यों में सीडेशन लॉ तेजी के साथ इस्तेमाल हो रहा है। उसके बीच मोदी का 30 अप्रैल को चीफ मिनिस्टर्स कान्फ्रेंस में ये कहा कि अंग्रेजों के जमाने के कानून खत्म होने जरूरी हैं। उनकी ये बात साफ तौर पर दर्शा रही है कि ब्रान्ड मोदी चेंज हो रहा है।

बीजेपी के एक सीनियर मंत्री कहते भी हैं कि मोदी के सिवाय बीजेपी के पास कोई मजबूत सहारा नहीं है। ये पीएम का करिश्मा ही है जो महंगाई और बेरोजगारी के बावजूद यूपी उत्तराखंड और गोवा जैसे सूबे बीजेपी जीतने में कामयाब रही। उनका मानना है कि 2024 में मोदी का करिश्मा फिर से चलेगा। वो देश के सबसे अच्छे पीएम हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा ही बदलाव 2016 में भी मोदी में देखने को मिला था। लुढ़कती इकॉनोमी और तल्ख होते धार्मिक माहौल के बीच ये बदलाव देखने को मिल रहा है। बीजेपी के रणनीतिकार भी मानते हैं कि इस मुश्किल वक्त में पीएम की इमेज को बचाना जरूरी है। इसके लिए सरकार को भी चेहरा बदलना पड़ेगा। यही वजह है कि बीजेपी के तमाम मंत्री और बड़े नेता मोदी सरकार की 8वीं सालगिरह पर पीएम के कसीदे पढ़ते नहीं थक रहे। बेरोजगारी और गिरती इकॉनोमी पर उनका कहना है कि यूक्रेन रूस की लड़ाई न होती तो हालात शायद कुछ अलग होते।



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मुंबईः आर्यन खान को क्लीन चिट मिलते ही समीर वानखेड़े पर गाज, भेजा गया चेन्नई, रेवेन्यू इंटेलीजेंस में तैनाती

कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग्‍स मामले में बॉलीवुड स्‍टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को क्‍लीन चिट मिलते ही उन्हें अरेस्ट करने वाले समीर वानखेड़े पर जोरदार एक्शन हुआ है। उन्हें दिल्ली से हटाकर चेन्नई में भेजा गया है। वो वहां डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस में तैनात रहेंगे। कभी सुपर कॉप कहलाने वाले समीर वानखेड़े की ये पोस्टिंग बेमतलब की मानी जा रही है। उनके जैसे तेवरों के अधिकारी के लिए ये पनिशमेंट पोस्टिंग ही है।

आर्यन खान केस में नारकोटिक्‍स कंट्रोल ब्‍यूरो (NCB) ने इस मामले में शुक्रवार को चार्जशीट फाइल की है, जिसमें आर्यन को क्‍लीन चिट दी गई है। एजेंसी की तकरीबन 6 हजार पन्‍नों की चार्जशीट में 14 आरोपियों के नाम हैं। 23 वर्षीय आर्यन का नाम आरोपियों में शामिल नहीं है। वो गिरफ्तार किए गए 20 लोगों में से एक थे।

आर्यन खान समेत 6 लोग चार्जशीट का हिस्सा नही हैं। यानि आर्यन को एनसीबी ने क्‍लीन चिट दे दी है। एनसीबी ने पिछले साल अक्टूबर में आर्यन को मुंबई के पास एक क्रूज से गिरफ्तार किया था। हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया था। मामले में अभी तक जांच चल रही थी।

हालांकि इस बात की चर्चा आर्यन को क्लीन चिट मिलने के बाद से शुरू हो गई थी कि सरकार ने एनसीबी के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के मामले में भी वानखेड़े के खिलाफ जांच शुरू की जा रही है। वानखेड़े भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी हैं।

आर्यन मामले के समय वो मुंबई में एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक थे। उन्होंने ही शुरुआती जांच के बाद आर्यन को अरेस्ट किया था। बाद में मामले ने तूल पकड़ा तो उन्हें दिल्ली हेडक्वार्टर रवाना कर दिया गया था। एनसीबी ने इस मामले में पिछले साल 3 अक्टूबर को आर्यन खान को गिरफ्तार किया था। 26 अक्टूबर को उन्हें बांबे HC से जमानत मिल गई थी। जद्दोजहद के बाद 30 अक्टूबर को उन्हें आर्थर रोड जेल से रिहा कर दिया गया था।

वकील उज्जवल निकम ने कहा कि आर्यन को सेलेब्रिटी होने का खामियाजा भुगताना पड़ा। न्यायपालिका एक स्वतंत्र व्यवस्था है लेकिन NCB के कुछ अफसरों ने इसे अपने हाथ में लेने की हिमाकत की है।



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पाकिस्तान : अब भस्मासुर बन गया ‘टीटीपी’

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट में अफगानिस्तान आधारित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से पाकिस्तान की सुरक्षा को लगातार खतरे की ओर ध्यान आकर्षिक किया गया है और कहा गया है कि खूंखार आतंकी संगठन के साथ चल रही शांति प्रक्रिया के सफल होने की संभावनाएं क्षीण हैं।

तालिबान प्रतिबंध समिति 1988 की निगरानी टीम की वार्षिक रिपोर्ट में अफगान-तालिबान के साथ टीटीपी के संबंधों का उल्लेख किया गया है और यह बताया गया है कि पिछले साल गनी शासन के पतन से इस समूह को कैसे फायदा हुआ और इसने अफगानिस्तान से संचालित अन्य आतंकवादी समूहों के साथ अपने संबंध कैसे जोड़े।

पाकिस्तान के डान अखबार के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिबंधित टीटीपी में अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी इलाकों में 4,000 लड़ाके हैं तथा वहां इसने विदेशी लड़ाकों का सबसे बड़ा समूह बना लिया है। पिछले साल अगस्त में काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से समिति के लिए टीम की यह पहली रिपोर्ट है। रिपोर्ट में तालिबान की आंतरिक राजनीति, उसके वित्तीय मामलों, अलकायदा, दाएश और अन्य आतंकवादी समूहों के साथ इसके संबंधों तथा सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

यह रिपोर्ट ऐसे समय प्रकाशित हुई जब पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच तीसरे दौर की बातचीत की शुरुआत हुई है। पिछले साल नवंबर में हुई पहले दौर की वार्ता के परिणामस्वरूप एक महीने का संघर्षविराम हुआ था, लेकिन बाद में टीटीपी ने पाकिस्तान पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए संघर्षविराम खत्म कर दिया था। टीटीपी ने बाद में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ हमले फिर से शुरू कर दिए।

पाकिस्तान इंस्टीट्यूट आफ पीस स्टडीज द्वारा सारणीबद्ध किए गए आंकड़े बताते हैं कि इस साल, आतंकवादी समूह ने लगभग 46 हमले किए, जिनमें ज्यादातर कानून प्रवर्तन कर्मियों के खिलाफ थे और इनमें 79 लोग मारे गए। टीटीपी 2008 में अपनी स्थापना के बाद से ही पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के साथ संघर्ष कर रहा है, ताकि देश में शरिया कानूनों को लागू करने के लिए दबाव डाला जा सके।

हालांकि, संघर्ष समाप्त करने के लिए पाकिस्तान सरकार के साथ बातचीत के लिए अफगान तालिबान द्वारा समूह पर दबाव डाला जा रहा है। वार्ता के नवीनतम दौर में पाकिस्तान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता 30 मई को समाप्त हो रहे संघर्षविराम को आगे बढ़ाने की है। हालांकि पाकिस्तानी पक्ष ने बातचीत पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि समूह (टीटीपी) पाकिस्तान सरकार के खिलाफ एक दीर्घकालिक अभियान पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसका अर्थ है कि संघर्षविराम समझौतों की सफलता की सीमित संभावना है।

इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम (एमटी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान द्वारा बार-बार इनकार करने के बावजूद, पाकिस्तान से संबंध रखने वाले इन आतंकवादी समूहों ने अफगानिस्तान में महत्त्वपूर्ण उपस्थिति बना रखी है। तालिबान सीधे तौर पर आठ में से तीन आतंकी शिविरों को नियंत्रित कर रहा है।

जैश ए-मोहम्मद (जेईएम) अभी भी अपना शिविर अफगानिस्तान के नंगरहार में चला रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लश्कर ए-तैयबा ने कुनार और नंगरहार में ऐसे तीन कैंप बनाए हुए हैं। निगरानी टीम की यह 13वीं रिपोर्ट है और पिछले साल 15 अगस्त को तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण करने के बाद से यह पहली रिपोर्ट है। रिपोर्ट में जो निष्कर्ष निकाला गया है वह सदस्य-राज्यों के परामर्श पर आधारित है।

तालिबान प्रतिबंध समिति की अध्यक्षता वतर्मान में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति कर रहे हैं। दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख, सुहैल शाहीन ने पिछले हफ्ते बताया था कि काबुल की सरकार किसी को भी किसी भी पड़ोसी और क्षेत्रीय देश के खिलाफ अफगानिस्तान की धरती का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी है। हालांकि, भारत अफगानिस्तान में पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों की गतिविधियों और तालिबान के साथ उनके संबंधों को लेकर चिंतित है।

कैसे पनपा टीटीपी

पाकिस्तानी तालिबान की जड़ें जमनी उसी वक्त शुरू हो गई थीं, जब 2002 में अमेरिकी कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान से भागकर कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छिपे थे। इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो स्वात घाटी में पाकिस्तानी सेना की मुखालफत होने लगी। कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे। ऐसे में दिसंबर 2007 को बेयतुल्लाह मेहसूद की अगुआई में 13 गुटों ने एक तहरीक यानी अभियान में शामिल होने का फैसला किया और संगठन का नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान रखा गया।यह अफगानिस्तान के तालिबान संगठन से पूरी तरह अलग है, लेकिन इरादे एक जैसे हैं।



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दिल्ली में आंधी ने मचाई तबाही, जामा मस्जिद की गुंबद को नुकसान, हवाई यातायात पर भी असर; मंगलवार को भी हो सकती है बारिश

30 मई को देश की राजधानी दिल्ली में तेज हवा के साथ हुई बारिश से कई इलाकों में पेड़ टूटकर गिर पड़े। इसके साथ ही कई जगहों पर जलभराव की भी स्थिति देखी गई। वहीं दिल्ली की जामा मस्जिद को तेज आंधी-तूफान के चलते नुकसान पहुंचा है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक जामा मस्जिद के गुंबद पर लगा कलश(बुर्ज) टूट गया। वहीं गुंबद से पत्थर गिरने के कारण कई लोग घायल भी हो गए।

बता दें कि सोमवार को तेज़ बारिश और आंधी के चलते जामा मस्जिद के बीच में स्थित गुंबद का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। पुलिस ने जानकारी दी कि ओलावृष्टि और बारिश के बाद छज्जा गिरने से 50 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई है। वहीं जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने बताया कि तेज़ बारिश और आंधी में जामा मस्जिद के बीच में स्थित गुंबद का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, उसके 2-3 टुकड़े हुए हैं जो ज़मीन पर गिरे हैं।

Delhi Weather,Jama Masjid
नई दिल्ली के दरियागंज में तूफान और भारी बारिश के कारण जामा मस्जिद को नुकसान पहुंचा है(फोटो सोर्स: एक्सप्रेस/अमित मेहरा)।

उन्होंने कहा कि अगर इसे तुरंत नहीं हटाया गया तो ये अपने सामने स्थित दीवार और बीच के पूरे गुंबद को क्षति पहुंचाएगा। बुखारी ने कहा कि इसके अलावा भी आज की बारिश में मस्जिद के पत्थर तहस-नहस हुए हैं। इस दौरान 2-3 लोग भी घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि मैं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की मदद से मस्जिद की तत्काल मरम्मत करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखूंगा।

वहीं दिल्ली पुलिस ने जानकारी दी कि उत्तरी दिल्ली इलाके में ओलावृष्टि के बाद एक 65 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई। और तेज हवा के चलते रात 8 बजे तक दिल्ली में 294 पेड़ गिरे हैं। बता दें कि दिल्ली में खराब मौसम के कारण 8 फ्लाइट को भी डायवर्ट किया गया है।

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तेज हवा के झोंकों से दिल्ली में कई जगहों पर पेड़ टूटकर गिर पड़े(फोटो सोर्स: एक्सप्रेस/अमित मेहरा)।

बता दें कि सोमवार को हुई बारिश से पहले दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में रविवार की शाम को भी बारिश और आंधी-तूफान देखा गया था। तूफान की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक दर्ज की गई। वहीं सोमवार दोपहर के बाद मौसम विभाग ने दिल्ली- एनसीआर के कई क्षेत्रों के लिए भी बारिश का अलर्ट जारी किया था।

वहीं सोमवार को हुई बारिश और तेज हवा के झोकों के बाद अब मौसम विभाग ने मंगलवार को लेकर भी आगाह किया है। अनुमान के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार को भी बारिश हो सकती है। आसमान में बादल छाए रहेंगे और मध्यम तीव्रता वाली बारिश देखने को मिलेगी।



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जिस तरह से आपका पेट बढ़ रहा है…TMC नेता का मोटापा देख सीएम ममता ने पूछ डाले सवाल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वो तृणमूल कांग्रेस के एक कार्यकर्ता को उसके मोटापे पर नसीहत दे रही हैं। वीडियो में ममता बनर्जी कार्यकर्ता के वजन को लेकर कहती दिख रही हैं कि आखिर तुम्हारा मध्य प्रदेश(पेट) क्यों बढ़ रहा है। जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल की सीएम ने एक कार्यक्रम में स्थानीय नगर पालिका के एक नेता को यह सब बातें कहीं।

दरअसल कार्यक्रम में जब वह नेता अपनी बात कहने के लिए खड़ा हुआ तो उसके बोलने के बीच में ही ममता बनर्जी ने टोकते हुए कहा, “जिस तरह से आपका पेट बढ़ रहा है, आप किसी भी दिन गिर सकते हैं। क्या आप अस्वस्थ हैं?”

इसपर टीएमसी कार्यकर्ता ने कहा कि उसे न तो शुगर और न ही ब्लड प्रेशर की बीमारी है, वह एकदम फिट है। उसने अपनी बात को रखते हुए टीएमसी प्रमुख से कहा कि वह पार्टी कामों में लगा हुआ है। वहीं ममता बनर्जी ने मोटापे को लेकर आगे कहा कि जरूर कोई समस्या है, आपके पास इतना विशाल मध्य प्रदेश(शरीर का मध्य भाग) कैसे हो सकता है?”

इसके बाद ममता बनर्जी ने पूछा कि टहलते हो? इसपर कार्यकर्ता ने कहा कि हर दिन टहलता हूं। वहीं ममता ने कहा कि खाना ज्यादा खाते हो? नेता ने बताया कि वह रोज सुबह पकौड़े खाता है, इसलिए पेट बढ़ गया है। इसके बाद ममता बनर्जी ने पूछा आखिर तुम रोज पकौड़ी क्यों खाते हो? ऐसे तो कभी भी अपना वजन कम नहीं कर सकते।

इसपर कार्यकर्ता ने जोर देकर कहा कि मैं तो हर दिन तीन घंटे व्यायाम करता हूं। शख्स ने कहा कि रोजाना एक हजार कपालभाति प्राणायाम करता हूं। ममता ने कहा, “संभव नहीं है, अगर आप मुझे 1,000 कपालभाति करके दिखाओगे तो मैं आपको 10,000 रुपए दूंगी।

बता दें कि टीएमसी प्रमुख कार्यक्रम के दौरान ही कार्यकर्ता से एक्सरसाइज करने को कहती हैं। वहीं ममता बनर्जी और टीएमसी कार्यकर्ता के बीच हुई इस बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।



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Sunday, May 29, 2022

बनारसः शिवलिंग को फव्वारा बताने वाले महंत का इस्तीफा, छोटे भाई को गद्दी सौंप बोले- करूंगा प्रायश्चित

यूपी के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हुए सर्वे का मामला गरमाया हुआ है। जहां हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद परिसर में शिवलिंग मौजूद है तो वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है। बता दें कि इस बीच श्री काशी करवत मंदिर के महंत गणेश शंकर उपाध्याय ने अपना इस्तीफा दे दिया है।

दरअसल महंत गणेश शंकर ने कथित शिवलिंग को फव्वारा बताया था। वहीं इस्तीफा देने के बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मेरे साथ कुचक्र किया गया लेकिन अब वह इसका प्रायश्चित करेंगे। बता दें कि महंत ने अपने छोटे भाई डॉ. दिनेश अम्बाशंकर उपाध्याय को अपनी जिम्मेदारी सौंप दी है।

गौरतलब है कि श्री काशी करवत मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल स्थित हैं। इसी मंदिर में पंडित गणेश शंकर उपाध्याय महंत थे। बीते दिनों एक निजी चैनल के इंटरव्यू में उन्होंने ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग को फव्वारा बताया था। जिसके बाद हिंदू पक्ष की तरफ से उनकी काफी आलोचना भी हुई। इसके बाद महंत गणेश शंकर ने अपनी गद्दी से इस्तीफा दे दिया है।

महंत ने शिवलिंग को लेकर क्या कहा था: ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हुए सर्वे के दौरान मिले कथित शिवलिंग को लेकर कुछ दिन पहले गणेश शंकर उपाध्याय ने एक टीवी चैनल से कहा था कि शिवलिग जैसी आकृति मिली है लेकिन वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा ही है। महंत ने दावा किया था कि उसे हम लोगों ने बचपन से देखा है और वहां सैकड़ों बार गए हैं। हालांकि बाद में उन्होंने यह भी दावा किया कि चैनल पर उनकी बात को काट छांटकर दिखाया गया।

वहीं महंत का कहना है कि मेरे साथ साजिश हुई है। मेरे खिलाफ गलत इंटरव्यू चलाया गया, इससे मैं काफी आहत हूं और इस्तीफा देने का फैसला किया है। मैंने कभी भी दावा नहीं किया कि सर्वे के दौरान मिली आकृति शिवलिंग नहीं फव्वारा है।

पद से इस्तीफा देने को लेकर उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह पहली बार हो रहा है कि किसी महंत पद को जीवत रहते दूसरे महंत को दिया जायेगा क्योंकि अभी तक महंत की मृत्यु के बाद ही महन्त पद स्थानांतरित होता है।



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TATA Motors अमेरिका की कंपनी फोर्ड के प्‍लांट का करेगी अधिग्रहण, कैबिनेट से मिली मंजूरी

टाटा मोटर्स को गुजरात के साणंद स्थित ऑटो निर्माता अमेरिकन कंपनी फोर्ड प्‍लांट का अधिग्रहण करने की मंजूरी मिल चुकी है। इस सप्‍ताह गुजरात कैबिनेट ने सौदे को आगे बढ़ाने वाले प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है, जिसे दोनों कंपनियों की ओर से पेश किया गया था। विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकन कार निर्माता कंपनी फोर्ड ने पिछले साल के बाजार, उत्‍पाद डिजाइन, अधिक निवेश जैसे कई करको के कारण भारत छोड़ने की बात कही थी।

साणंद में कंपनी ने यात्री निर्माण इस साल अप्रैल तक बंद कर दिया था। वहीं इस महीने फोर्ड कंपनी ने भारत में अपने ईवी निर्माण भी छोड़ चुका है और भारत से व्‍यापार खत्‍म करने की तैयारी में है। टीओआई के सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट ने कंपनियों के प्रस्ताव पर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया है। टाटा मोटर्स और फोर्ड के बीच सोमवार को सीएम भूपेंद्र पटेल के सामने एमओयू साइन किया जाएगा।

30 को बन सकती है सहमति
एक अधिकारी ने बताया कि गुजरात सरकार की यह मंजूरी केवल कैबिनेट को हरी झंडी है। कंपनियां अभी भी इसके आकार, श्रम, वित्तीय और अधिग्रहण में शामिल लाभों को बारिकियों पर बातचीत कर रही हैं। एक बार इन दोनों कंपनियों के बीच सहमति बन जाने के बाद समझौते पर हस्‍ताक्षर किए जा सकते हैं। उन्‍होंने बताया कि 30 मई को समझौते को लेकर एक योजना बनाई गई है। इसमें दोनों कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे।

भारत में ईवी नहीं बनाएगी कंपनी
एक अधिकारी के अनुसार, राज्‍य सरकार की ओर से फोर्ड कंपनी को दिए जाने वाले सभी लाभों को टाटा मोटर्स को भी रियायत बचे हुए समय के दौरान रियायत देने पर सहमति दी है। इस महीने की शुरुआत में, Ford ने वैश्विक बाजारों के लिए भारत में EVs बनाने की अपनी योजना को भी छोड़ दिया।

आवेदन ले सकती है वापस
गौरतबल है कि फोर्ड इंडिया 20 अलग-अलग कंपनियों में शामिल है, जिन्‍हें फरवरी 2022 में घोषित भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत चुना गया था। लेकिन कंपनी अब अपना आवेदन वापस ले सकती है, क्योंकि वह अब देश में निवेश नहीं करेगी।



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नई दिल्लीः RBI की रिपोर्ट का हवाला देकर तृणमूल सांसद ने पीएम मोदी पर साधा निशाना, नकली करेंसी को लेकर पूछा ये सवाल

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की वार्षिक रिपोर्ट में नकली नोटों के आंकड़ों की ओर इशारा करते हुए, तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ ब्रायन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। TMC सांसद ने पीएम मोदी के उस दावे पर तंज कसा, जिसमें उन्होंने कहा था कि नोटबंदी से डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा और बाजार से नकली मुद्रा का सफाया हो जाएगा।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें ये बताया गया है कि पिछले एक साल में देश में नकली नोटों की सप्लाई में कितनी बढ़ोत्तरी या गिरावट हुई। जिसके बाद डेरेक ओ’ ब्रायन ने ट्विटर पर एक टेबल ग्राफ़िक शेयर किया, जिसमें दिखाया गया कि पिछले एक साल में 500 रुपए के नकली नोटों की संख्या दोगुनी हो गई। वहीं, इस दौरान 2000 रुपए के नकली नोटों की संख्या में 54 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

टीएमसी सांसद ने ट्वीट कर कहा, “ नमस्कार मिस्टर पीएम नोटबंदी याद है? कैसे ममता बनर्जी ने आपके इस कदम की आलोचना की थी? और कैसे आपने देश से वादा किया था कि नोटबंदी सभी नकली नोटों को मार्केट से खत्म कर देगी। लेकिन आरबीआई की ये हालिया रिपोर्ट नकली नोटों की संख्या में भारी बढ़ोतरी दर्शाती है।” सांसद के ट्वीट में दिखाया गया डेटा आरबीआई की लेटेस्ट वार्षिक रिपोर्ट से लिया गया था।

नकली नोटों की संख्या में बढ़ोतरी: आरबीआई की जारी की गयी लेटेस्ट वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल की तुलना में 10, 20, 200, 500 और 2000 रुपयों के नकली नोटों के फ्लो में क्रमशः 16.4 प्रतिशत, 16.5 प्रतिशत, 11.7 प्रतिशत, 101.9 प्रतिशत और 54.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. जबकि 50 और 100 रुपए के नकली नोटों के मार्केट फ्लो में 28.7 प्रतिशत और 16.7 प्रतिशत की गिरावट आई है।

वहीं, इससे पहले प्रधानमंत्री आवास योजना पर पीएम मोदी को घेरते हुए डेरेक ओ’ ब्रायन ने ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा, “मिस्टर पीएम, आपने 2022 तक सभी के लिए आवास का वादा किया था। पीएमएवाई के तहत, आपने शहरी क्षेत्रों में 1.2 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य रखा था। 7 सालों में आप आधे घर बना पाए हैं। अपने गृह राज्य में अपनी वीकेंड ट्रिप का मजा लें। लेकिन हमें साफ-साफ बताएं कि क्या आपका 2022 का वादा अब 2029 में बदल गया है?”



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हरियाणाः मैंने किसी को बेवकूफ नहीं बनाया, बेवकूफों ने मुझे बनाया, शिक्षा को लेकर केजरीवाल के दावों पर लोगों ने ऐसे कसे तंज

29 मई को दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एक रैली के दौरान खट्टर सरकार पर जुबानी हमला बोला। हालांकि उनके बयानों पर सोशल मीडिया पर लोग तंज भी कस रहे हैं। दरअसल उन्होंने राज्य की शिक्षा, चिकित्सा व्यवस्था को लेकर खट्टर सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि “इनसे नये स्कूल नहीं बनते, इनसे नौकरियां नहीं निकलती और न ही इनसे अस्पताल बनते हैं।”

बता दें कि रविवार को आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल कुरुक्षेत्र में ‘अब बदलेगा हरियाणा’ रैली में भाग लेने पहुंचे थे। केजरीवाल ने लोगों से कहा कि हमें एक मौका दे दीजिए हरियाणा की तस्वीर बदल दूंगा। उन्होंने कहा कि मुझे मौका दो, मैं हरियाणा के सरकारी स्कूलों में सुधार करूंगा। दिल्ली में सरकारी स्कूल इसके सबूत हैं। अब गरीब के बच्चे भी इंजीनियर और डॉक्टर बनेंगे। हमने दिल्ली के निजी स्कूलों को पिछले 7 सालों में फीस बढ़ाने की इजाजत नहीं दी।

केजरीवाल के इन दावों पर सोशल मीडिया पर तमाम तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। मोहित(@manni_1986) नाम के एक यूजर ने लिखा, “इसे कोई नया कंटेंट राइटर दे दो यार, हर रैली में एक ही तरह की बात।” इसके अलावा एक अन्य यूजर ने केजरीवाल की एक फोटो शेयर कर लिखा, “मैंने किसी को बेवकूफ नहीं बनाया, बल्कि बेवकूफों ने मुझे बनाया।” एक और यूजर ने लिखा, हरियाणा के स्कूल पहले से ही दिल्ली से बेहतर हैं।

भाजपा दंगाईयों का सम्मान करती है: केजरीवाल ने रैली में भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि इनकी पार्टी में दंगाई हैं। देश में कहीं भी दंगा हो ये वहां जाकर दंगाईयों का सम्मान करते हैं। केजरीवाल ने कहा कि कुछ गुंडों ने अभी कुछ दिन पहले मेरे घर में हमला कर दिया था। इन्होंने अगले दिन सारे गुंडों का सम्मान किया।

खट्टर सरकार पर हमला: केजरीवाल ने सवाल पूछा कि मैंने 7 साल में 12 लाख नौकरियां दी हैं। अगले 5 साल में 20 लाख नौकरियां देने की हमारी योजना है। खट्टर साहब ने हरियाणा में कितनी नौकरियां दी? ये नौकरी नहीं देंगे। ये आपके बच्चों को गुंडई और दंगा करना सिखाएंगे और अपने बच्चों को पढ़ने विदेश भेजेंगे।



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तहखानों में तलाश कर रहे हैं PM मोदी की डिग्री, ताजमहल के 22 कमरों को खोलने के विवाद पर ओवैसी का तंज

AIMIM चीफ और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधकर बीजेपी नेताओं से पूछा कि वो ताजमहल के नीचे पीएम की डिग्री की तलाश कर रहे हैं क्या? उनका तंज उस याचिका को लेकर था जिसमें अयोध्या के बीजेपी नेता ने कोर्ट में याचिका दायर करके 22 कमरों को खुलवाने की मांग की थी। उसका दावा था कि नीचे के कमरों में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां हैं। कमरों को खोलने के बाद सर्वे कराया जाए तो ताजमहल का काला सच सामने आ जाएगा।

महाराष्ट्र के भिवंडी में ओवैसी ने कहा कि बीजेपी के नेता बेवजह देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने ताजमहल से जुड़े मामले की याचिका पर कोर्ट के फैसले का भी जिक्र किया। ध्यान रहे कि यह याचिका बीती 12 मई को इलाहाबाद HC ने याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसी चीजों को इतिहासकारों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। आगरा में ताजमहल में 22 बंद कमरों के पीछे सच्चाई का पता लगाने के लिए एक भाजपा नेता द्वारा याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि समाधि एक पुराना शिव मंदिर है।

ओवैसी ने कहा कि भाजपा मुगलों को भारत से बाहर का बताती है लेकिन क्या उसके पास इस बात का कोई जवाब है क्या कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों से कई अन्य समुदायों के लोग भी भारत में आए। उन्होंने कहा कि केवल द्रविड़ और आदिवासी ही भारत से हैं। अगर भारत किसी का है तो वह द्रविड़ और आदिवासी हैं। भारत का गठन अफ्रीका, ईरान, मध्य और पूर्वी एशिया से लोगों के पलायन के बाद हुआ था।

शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर तंज कस ओवैसी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में एनसीपी नेता ओवैसी को वोट देने के लिए कह रहे थे, जिससे बीजेपी और शिवसेना को रोका जा सके। चुनाव के बाद एनसीपी ने शिवसेना से निकाह कर लिया। लेकिन उन्हें ये बात आज तक पता नहीं चल पा रही कि तीनों दलों में से दुल्हन कौन है। उनका कहना था कि एमवीए गठबंधन ने बड़े-बड़ों को चक्कर में डाल दिया है। एक दूसरे की धुर विरोधी पार्टी सत्ता के लिए एक साथ आ गई हैं।



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यूपीः विधान परिषद में सपा से छिन सकता है नेता प्रतिपक्ष का तमगा, जानें सदन में किस तरह तेजी से बदल रहे समीकरण

यूपी में लगातार दो चुनावों में सत्ता से बाहर रहने वाली समाजवादी पार्टी को अब एक और झटका लग सकता है। बता दें कि राज्य की विधान परिषद में सपा से विपक्षी की कुर्सी छिन सकती है। मौजूदा स्थिति में विधान परिषद में भाजपा के पास 66 सदस्य हैं। वहीं सपा के पास 11 सदस्य हैं। इस बीच 6 जुलाई को विधान परिषद के 13 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। जिसके लिए 20 जून को चुनाव प्रस्तावित है।

इन 13 सीटों पर माना जा रहा है कि भाजपा 9 और सपा 4 सीटें हासिल कर सकती हैं। बता दें कि विधानसभा में भाजपा गठबंधन के पास 273 और सपा व उसके सहयोगी दलों की कुल 124 सीट हैं। गौरतलब है कि 10 साल पहले भाजपा के पास विधान परिषद के सिर्फ 7 सदस्य थे। लेकिन अब माना जा रहा है कि उसी सदन में बीजेपी 81 की संख्या तक पहुंच सकती है।

दरअसल, 20 जून को प्रस्तावित चुनाव में अगर भाजपा 9 सीटें जीतती है उसके पास विधान परिषद में कुल 81 सीटें हो जाएंगी। विधान परिषद में 4 दशक में इस तरह पहली बार है, जब बीजेपी बहुमत के पार जा सकती है। इसी के साथ विधान परिषद में सपा के पास से विपक्षी दल होने का तमगा भी छिनने का खतरा है।

दरअसल सपा के सदस्यों की संख्या 10 फीसदी से कम हो कर 9 हो जाएगी। ऐसे में माना जा रहा है कि सपा के पास से विधान परिषद में विपक्ष की कुर्सी जा सकती है। हालांकि जानकारों की राय है कि इस स्थिति में सभापति, सपा को नेता प्रतिपक्ष चुनने के लिए कह सकते हैं।

इस बीच बीते शुक्रवार को समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को अपना नेता प्रतिपक्ष घोषित किया।

10 जून को राज्यसभा चुनाव: बता दें कि जहां विधान परिषद का चुनाव 20 जून को प्रस्तावित है तो वहीं उससे पहले 15 राज्यों में 10 जून को 57 राज्यसभा सदस्यों का चुनाव होना है। इस दौरान उत्तर प्रदेश में 11 सीटों पर चुनाव होगा। 2022 के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद संख्या बल पर गौर करें तो भाजपा सात और सपा तीन सदस्यों को राज्यसभा आसानी से भेज सकती है। हालांकि भाजपा सात के अलावा एक और सांसद चुन सकती है लेकिन इसके लिए गणित बिठाना होगा।



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Saturday, May 28, 2022

Once Upon A Cinema: Jo Jeeta Wohi Sikandar — The making of a classic, twice over

Once Upon a Cinema is series which will illuminate the dark, unexplored crevices of Indian cinema. In it, the writer will showcase stories and faces long forgotten, share uncommon perspectives about stars and filmmakers, and recount tales that have never been told.

It was Aamir Khan who suggested that I include Jo Jeeta Wohi Sikandar in the book. Writing a book on cult films is no joking matter. One must be conscious of the various opinions on what constitutes “cult”. I used the powers vested on me as the author to say that only those films which didn’t do well commercially and later attained a cult following, will make the cut. And I made use of the same powers in deciding that Aamir’s early action film Raakh and Andaz Apna Apna (of course!) would be in the list. After a few months of hustling and cajoling and throwing up arms in despair, it was ultimately serendipity that led me to Aamir’s doorstep. We spoke about Raakh and Andaz at length, and I had found plenty more material than I had bargained for. And then the man tossed the idea at me. Jo Jeeta fits your definition, he said.

It seemed preposterous, initially. In my head, Jo Jeeta Wohi Sikandar was this behemoth of a film which stood the test of time. But Aamir had his notions about why it should be considered a cult film. It was a successful film, but it wasn’t as big a hit as they thought it would be. As compared to Mansoor’s colossal first film Qayamat Se Qayamat Tak, the second one had a tepid response. “But for me, it’s a better film than QSQT,” Aamir explained, “That’s what I personally feel. The roles of Sanjay Lal and Ratan Lal were well-written. So was the relationship of the two brothers, even Sanjay’s relationship with the two girls he falls in love with! One is the very glamorous girl he is smitten by, and the other who he feels for inside. He is not even aware that he likes her. It’s only in time that he realizes, this is the girl I really love. So it’s a story about growing up and coming of age. It has some amazing moments.”

This was early 2015, the Aamir I was talking to was portly and sported grey hair.  He had been shooting for Dangal. The parts with the grown-up Gita and Babita, evidently. He spoke about Nitesh Tiwari’s relationship with Jo Jeeta Wohi Sikandar: “Even today when I speak to Nitesh Tiwari who is directing Dangal, he tells me that Jo Jeeta was their film, you know. They used to have inter-IIT competitions in dramatics and sports, so the whole concept of Rajput and Model school, the privileged and the underdog…they really connected with that.”

Jo Jeeta Wohi Sikandar was Mansoor Khan’s pet project. But they had a rather torturous time making the film. Aamir set about telling me that story and helped me reach out to Mansoor as well. By this time, Mansoor had hung up his boots and had taken refuge in the hills. A phone conversation with him ensued. Mansoor Khan wrote Jo Jeeta Wohi Sikandar when he was a naive kid himself, trying to prove a point. He had studied engineering, realizing well in time that it was hardly his cup of tea; gadgets and cameras always fascinated him. Tinkering with video editing on a Sony recorder, he came upon the idea of making a film about redemption. He was aimless, just like the protagonist Sanjay Lal from Jo Jeeta Wohi Sikandar. That’s when he started writing. Ostensibly to warm himself up, he made a short film called Umberto with his friend Amole Gupte acting in it, and it was this short that his father happened to see and asked him to helm QSQT. Mansoor Khan obeyed.

QSQT was a sensation. It broke a few records and swept the awards season. Despite such adulation in his very first film, Mansoor Khan refused to revel in it and turned his attention to his pet project. The reason he had written the elder brother in Jo Jeeta... as a father figure instead of there being an actual father in the story, was because he was sick of the cliched father-son routine in Hindi films. But QSQT had already explored newer aspects of the relationship, with Aamir Khan playing son and Dilip Tahil as the father whose relationship doesn’t follow the usual filmic pattern. Enter Ramlal Sharma (Khulbhushan Kharbanda), father to Ratanlal and Sanjay Lal Sharma. And then stepped in the great Farah Khan, but not as a choreographer. As Mansoor told me over the phone, “Farah had approached me to choreograph Jo Jeeta Wohi Sikandar. But I had already spoken to Saroj Ji (Khan)—I told her that, and said she can work as my assistant. She joined me as an assistant director and when she read the script, she said, ‘I have somebody in mind for the brother.’ She brought Mamik to me—the moment he walked into my office, I knew that this was guy who will play the brother Ratan Lal. We did a screen test, but I was very convinced that he was the one. Aamir was already a star. Dil had happened and QSQT had happened. So you needed someone who was believable as the brother who was one-up on Aamir. Mamik had a strong physique and yet had this endearing quality about him.’

Farah Khan brought in Mamik for the role, and he fit the slot perfectly. In time, as destiny would have it, she also became the choreographer for the film, when Saroj Khan took off without informing. Mani Ratnam’s Geethanjali (1989), his first Telugu film, was a great success both commercially as well as among critics. It was later dubbed in Tamil and Malayalam, and remade in Hindi three years later: Yaad Rakhegi Duniya (1992, mostly known for one song—Tere liye saari umar jagun). The Press especially went ga-ga over the female lead of the film, a British-Indian named Girija Shettar. She was offered the role of Anjali, Sanjay Lal’s childhood sweetheart. Nandita Morarji stepped in as Devika, the Veronica to Aamir Khan’s Archie. It would have been her debut in Hindi films. She was to be known by her screen name, Nagma.

Mansoor envisioned someone with athletic build and oodles of arrogance, for the role of Shekhar Malhotra. Akshay Kumar was famously auditioned for the role, but finally, it was Milind Soman who bagged the role. Aamir Khan said, ‘Milind Soman was this star athlete, full of arrogance—you know, the character is supposed to be very arrogant, sure of himself, really good at what he does, the girls love him. He is unbeatable, the Greek god. That’s how this role was written. When we cast Milind and we saw the test, we realized his voice and intonation lets him down. But the part was virtually written for him, because Milind is naturally arrogant. When he looks at you, you think you are something the cat brought in.’

The casting process seemingly completed, the crew of Jo Jeeta Wohi Sikandar was about to leave for Ooty, when something happened that made them go back to square one and look through those screen test videos again. That something was Baaghi (1990). Nagma who was playing Devika, backed out as she had been offered Baaghi opposite Salman Khan, the film that was to become her debut. The team went back to view the audition tapes, and this time they picked Karishma Pahuja to replace Nagma. Pahuja was a model and actress who had appeared with Aamir Khan in an FTII Diploma film that he did for his friend Inderjit Singh Bansal, Subah Subah. She was tested for the part earlier and had been the second choice after Nagma. She was cast for Devika and the shoot began at Coonoor and Ooty.

A sixty-day schedule was completed, shooting at Ooty, Coonoor and Western Catchments. Western Catchments, about 20 km away from Ooty is shrouded in clouds all year long, and one gets daylight for about three hours—from around 7 a.m. to 10 a.m. The cycle race was shot at Western Catchments, while juggling with daylight. The four-hour drive from Ooty was horrendous, the road condition in certain places was very bad. They had to start at 3 to even hope to reach the Catchments by 7 a.m. And then the wait began for the sun to peek from behind the clouds. After a twenty-day torturous and gruelling shoot, the cycle race was finally completed. About 80 per cent of the film had been shot in a two- month schedule, including most of the climax. The cast and crew returned to Mumbai and got back to their lives, without any clue that they had to do the whole thing all over again.

Aamir was shooting for another film when he got the call from Mansoor. It wasn’t working, he said. Karishma Pahuja as Devika was just not working. During the interview, Aamir maintained that Karishma did her best. But the way the role was conceived in the context of the movie, Pahuja didn’t fit. Mansoor was insistent they will have to shoot the film all over again, with a replacement. Aamir didn’t find the idea of re-shoot too enticing. He explained to me, “As an actor, as a creative person, it has already come out of you, it’s gone from you. Now when you are told you have to do it again, you start trying to remember what you had done then. How can I take it out again? It’s gone!’ But he also understood Mansoor’s point of view. He had to give in.

Karishma Pahuja was replaced by Pooja Bedi. Pooja was already a star in her own right. Back in the 90s, Vatsyayan’s legacy was revealed to adolescents across the length and breadth of urban India not via Mira Nair’s eponymous film, but through an ad campaign that popped up on good old Doordarshan one fine evening. A rather generously endowed woman was writhing in the shower while a good-looking lad tries to moor his boat, and later joins the lady in the shower. As we collected our jaws from the floor, another lady would whisper ‘Kama Sutra’ in the background. The week’s papers told us that the man was Marc Robinson, and the woman was Pooja Bedi. Pooja had a much-hyped debut in Vishkanya (1991), a film about mythical women with the ‘kiss of death’ (much like the Batman villain Poison Ivy) that poisoned the film itself. The very next film was the one that defined her career—as Devika in Jo Jeeta Wohi Sikandar.

After this piece of recasting, the first thing they shot was the song “Jawan ho yaaron”. After the shoot, Girija Shettar, who was playing Anjali, said she was leaving. She was going back abroad and couldn’t continue the shoot unless Mansoor Khan could manage to wrap-up the shoot in a month. He felt helpless—the entire film had to be made all over again, so completing it within a month was out of the question. So Shettar had to go too. But she could still be seen in Jawaan ho yaaron as the girl in red who dances with Aamir Khan. Ayesha Jhulka joined the cast as Anjali. Upon the departure of Karishma and Girija, the only other cast member Aamir Khan had the most scenes with was Milind Soman. Now, Aamir and Mansoor seemed to have a rather difficult time with Soman. Since most of the principal cast had already been replaced, it was finally decided to replace him too. Eventually, a role that a future superstar had auditioned for and lost, and a supermodel didn’t seem to be doing justice to, came to Deepak Tijori. And Tijori owned tha character like nobody’s business.

And that’s how Jo Jeeta Wohi Sikandar, a film which had been shot almost in its entirety, was on the floors again. All the scenes which had the earlier cast members in the frame, was filmed again, frame by frame.

(The story about the making of Jo Jeeta Wohi Sikandar was included in a chapter in my book In a Cult of their Own: Bollywood Beyond Box Office, which was published by Rupa Publications. I have extracted from the chapter generously.)

Amborish is a National Film Award winning writer, biographer and film historian.

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नई दिल्लीः 100 साल से ज्यादा पुरानी मस्जिदों के सर्वे के लिए सुप्रीम कोर्ट में PIL, जानें ज्ञानवापी को लेकर क्या कहा

मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई है कि वो देश की सौ साल से अधिक पुरानी मस्जिदों की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के जरिए एक गोपनीय सर्वे कराने का निर्देश दे।

सुप्रीम कोर्ट से याचिका में कहा गया कि मध्यकालीन युग में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने कई हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बना दी गईं थीं। इन प्राचीन पूजा स्थलों में बहुत से देवी-देवताओं के अवशेष मिलेंगे। इनका सम्मान किया जाए और प्राचीन धार्मिक अवशेषों की देखभाल के लिए कदम उठाए जाएं।

जनहित याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण या किसी अन्य संस्था को आदेश दे कि वो इन मस्जिदों का सर्वे करे। सर्वेक्षणों को गोपनीय रखने की भी मांग की गई है। अवशेष मिलने की स्थिति में सांप्रदायिक घृणा और धार्मिक भावनाओं को आहत करने से बचा जा सके। सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका अधिवक्ता शुभम अवस्थी, अधिवक्ता विवेक नारायण शर्मा व सप्त ऋषि मिश्रा की ओर से दायर की गई है।

याचिका में कहा गया है कि बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में जिस तालाब में शिवलिंग पाया गया, वहां मुसलमान वजू करते हैं। ये प्रथा कई दशकों से जारी है। ये शिवलिंग और हिंदू देवी-देवताओं के प्रति द्वेष को दर्शाता है। ऐसा हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मकसद से किया गया। याचिका में 100 साल से अधिक पुरानी प्रमुख मस्जिदों के तालाबों और कुओं से वजू को स्थानांतरित करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है। वजू एक इस्लामी प्रक्रिया है जिसे मस्जिदों में प्रवेश से पहले शरीर के अंगों को साफ करने के लिए अपनाई जाती है।

गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद सारे देश में माहौल सरगर्म है। ताजमहल को तेजो महालय मंदिर बताकर इसके बंद 22 कमरों को लेकर विवाद खड़ा हो रहा है तो कुतुब मीनार परिसर की क़ुव्वतुल इस्लाम मस्जिद में पूजा अर्चना की मांग जोर पकड़ने लगी है। मथुरा में जिला अदालत के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में याचिका पर सुनवाई की अनुमति देने के बाद वो मामला भी सरगर्म होता दिख रहा है। उधर, हिंदू महासभा का दावा है कि दिल्ली जामा मस्जिद के नीचे देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।



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दो साल बाद भारत और बांग्लादेश के बीच दौड़ेगी पैसेंजर ट्रेनें, जानिए कब से शुरू हो रही सेवा और क्या है अहमियत

भारत और बांग्लादेश के बीच दो साल बाद पैसेंजर ट्रेनों की बहाली होने जा रही है। बता दें साल 2020 में कोरोना महामारी के चलते एहतियात के तौर पर यह सेवा बंद कर दी गई थी। इस संबंध में पूर्वी रेलवे के चीफ पीआरओ एकलव्य चक्रवर्ती ने जानकारी दी कि बांग्लादेश और भारत के बीच यात्री ट्रेन सेवाएं 29 मई से फिर से शुरू होंगी।

उन्होंने बताया, “कोविड -19 महामारी के कारण 2 साल से अधिक के लंबे ब्रेक के बाद बांग्लादेश और भारत के बीच यात्री ट्रेन सेवाएं कल(29 मई से) फिर से शुरू होंगी।” उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश मैत्री एक्सप्रेस 29 मई से और बंधन एक्सप्रेस 30 मई से फिर से शुरू होंगी।

चक्रवर्ती ने जानकारी दी, “भारत-बांग्लादेश के बीच तीसरी ट्रेन सेवा मिताली एक्सप्रेस भी 1 जून को न्यू जलपाईगुड़ी से ढाका के लिए शुरू होने वाली है। तीनों ट्रेनों के टिकट बुक हो चुके हैं। इस ट्रेन सेवा के फिर से जारी होने की घोषणा के बाद दोनों देशों के लोग खुश हैं।” बता दें कि ‘मिताली एक्सप्रेस’ के संचालन से आने वाले समय में भारत और बांग्लादेश के संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।

भारत और बांग्लादेश के राजनयिक और व्यवसायिक संबंधों को देखते हुए इस सेवा की बहाली काफी अहम माना जा रही है। इसके जरिए कारोबार और दोनों देशों के लोगों को आने-जाने में काफ़ी सहूलियत मिलेगी। इसके चलते दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के साथ मिताली एक्सप्रेस पर्यटन को फलने-फूलने में मदद करेगी।

जानकारी के मुताबिक ट्रेन संख्या 13132 न्यू जलपाईगुड़ी- ढाका छावनी मिताली एक्सप्रेस एक सप्ताह में दो दिन रविवार और बुधवार को चलेगी। नियमित सेवा के दौरान ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी से भारतीय समयानुसार 11 बजकर 45 मिनट पर रवाना होगी। और हल्दीबाड़ी (भारत) 12.55 बजे पहुंचेगी। इसके बाद हल्दीबाड़ी से यह ट्रेन 13 बजकर 5 मिनट पर प्रस्थान करेगी।

रेलवे द्वारा जारी टाइम टेबल के अनुसार यह ट्रेन बांग्लादेश के समयानुसार 13.55 पर चिलाहाटी पहुंचेगी और चिलाहाटी से 14.25 बजे रवाना होकर 22:30 बजे ढाका छावनी पहुंचेगी। वहीं वापसी में सप्ताह में दो दिन सोमवार और गुरुवार को ट्रेन संख्या 13131 ढाका छावनी- न्यू जलपाईगुड़ी मिताली एक्सप्रेस दौड़ेगी।



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कर्नाटकः कहां नेहरू और कहां मोदी, PM पर निशाना साध बोले सिद्धरमैया तो सीएम बोम्मई ने ऐसे किया पलटवार

कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने शनिवार ( 28 मई, 2022) कहा कि पीएम ने देश की सुरक्षा, अखंडता और एकता को लेकर कड़े और बड़े कदम उठाए हैं। जिसका उदाहरण सभी के सामने है। उनकी तुलना के देश के पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू से नहीं की जा सकती।

बता दें, 27 मई को नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने नेहरू की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि मोदी और नेहरू की तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा था, ‘कहां नेहरू, कहां मोदी। यह जमीन और आसमान की तुलना करने जैसा है, इसकी कोई तुलना नहीं है। पीएम मोदी ने नेहरु के सभी अच्छे कामों पर पानी फेर दिया, जैसे पंचवर्षीय योजनाएं और अन्य।’

सिद्धारमैया ने पूछा था, ‘क्या आरएसएस के लोग भारत के मूल निवासी हैं? क्या आर्य इस देश के मूल निवासी हैं? यह द्रविड़ हैं जो मूल रूप से इस देश के हैं। मुगलों के 600 साल के शासन के लिए कौन जिम्मेदार है? यदि भारतीय एकजुट रहे, तो क्या उनके लिए हम पर शासन करना संभव था?’
सिद्धारमैया ने ये भी कहा कि हिजाब पर विवाद करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। सभी को कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए, 99.9 फीसदी छात्र कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा व एकता को लेकर मोदी ने नेहरू की तुलना में मजबूत कदम उठाए हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, ‘स्वाभाविक है, पीएम मोदी की तुलना नेहरू से नहीं की जा सकती, क्योंकि चीन ने जब सन 1962 में भारत पर आक्रमण किया तो नेहरू ने उचित कदम उठाए बिना सीमावर्ती क्षेत्रों को चीन को दे दिया, जबकि नरेंद्र मोदी मजबूती से खड़े रहे हैं और उन्होंने हाल में सीमा पर हुई झड़पों में हमारे सीमा क्षेत्रों की रक्षा की।’

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा पीएम मोदी ने पाकिस्तान से कभी समझौता नहीं किया। फिर चाहे वो कोई भी मुद्दा क्यों न हो। उन्होंने भारत की एकता और अंखडता के लिए काम किया। इसके उदाहरण देश के सामने हैं। सिद्धरमैया कि आरएसएस के बारे की गई टिप्पणी पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं पूछता हूं कि सिद्धरमैया कहां से आए, वह द्रविड़ हैं



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PM मोदी ने कहा किसानों को 3,500 का यूरिया बैग 300 रुपए में देती है सरकार, जानें आपको कैसे मिलेगा इस सब्सिडी का लाभ

गुजरात के गांधीनगर में एक सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 50 किलो के एक यूरिया बैग की कीमत 3,500 रुपए है, लेकिन यह किसानों को सिर्फ 300 रुपए में में दिया जाता है। इसका मतलब है कि एनडीए सरकार प्रति बैग 3,200 रुपए का खर्च वहन करती है।

वहीं आधिकारिक सरकारी वेबसाइट के अनुसार, आयातित यूरिया के लिए उर्वरक सब्सिडी में यूरिया की 100% आयात लागत का भुगतान, 98% अग्रिम दावा और जमा किए गए यूरिया की आयात लागत का 2% शेष दावा भुगतान केंद्र की ओर से किया जाता है। प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि प्रशासन का लक्ष्य यह गारंटी देना है कि सभी योजना लाभों का पूरी तरह से उपयोग हो रहा है या नहीं।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए एक अभियान चला रही है कि योजनाएं नागरिकों के लिए शत-प्रतिशत सुलभ हों। उन्‍होंने यह भी कहा कि यूक्रेन में COVID-19 महामारी और युद्ध के कारण उर्वरकों की कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि देश में किसानों को यूरिया और अन्य आदानों की कमी का सामना न करना पड़े।

अगर आप भी खेती करते हैं तो आपको बता दें कि पीएम मोदी द्वारा बताए गए उर्वरक पर सब्सिडी का लाभ आप भी उठा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको कुछ काम करना होगा, जिससे आप यूरिया खाद या अन्‍य उर्वरक पर सब्सिडी पा सकते हैं।

क्‍या है उर्वरक सब्सिडी योजना
केंद्र सरकार की ओर से किसानों पर उर्वरक का भार कम करने के लिए सब्सिडी योजना की शुरुआत की गई है। इसके तहत किसानों को कम दाम पर उर्वरक उपलब्‍ध कराया जाता है। सब्सिडी के मिलने से किसानों को उर्वरक बाजार से बेहद सस्‍ती कीमत में पड़ती है।

कैसे मिलेगा सब्सिडी का लाभ
सब्सिडी सरकार द्वारा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना के तहत दी जाती है। उर्वरक डीबीटी प्रणाली के तहत खुदरा विक्रेताओं द्वारा लाभार्भियों को उर्वरक दी जाती है। किसानों और क्रेताओं को राजसहायता प्राप्‍त सभी उर्वरकों की बिक्री प्रत्‍येक खुदरा बिक्री दुकान पर लगी प्‍वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के माध्‍यम से की जाती है तथा आधार कार्ड, केसीसी, मतदाता पहचान पत्र आदि के जरिए लाभार्थियों की पहचान की जाती है। सब्सिडी पाने के लिए किसानों को अपने खाते से बैंक को लिंक करना होगा। बाद में किसान आपके खाते में उर्वरक की सब्सिडी भेजेगी।



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कर्नाटकः कहां नेहरू और कहां मोदी, PM पर निशाना साध बोले सिद्धरमैया तो सीएम बोम्मई ने ऐसे किया पलटवार

कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने शनिवार ( 28 मई, 2022) कहा कि पीएम ने देश की सुरक्षा, अखंडता और एकता को लेकर कड़े और बड़े कदम उठाए हैं। जिसका उदाहरण सभी के सामने है। उनकी तुलना के देश के पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू से नहीं की जा सकती।

बता दें, 27 मई को नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया ने नेहरू की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि मोदी और नेहरू की तुलना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा था, ‘कहां नेहरू, कहां मोदी। यह जमीन और आसमान की तुलना करने जैसा है, इसकी कोई तुलना नहीं है। पीएम मोदी ने नेहरु के सभी अच्छे कामों पर पानी फेर दिया, जैसे पंचवर्षीय योजनाएं और अन्य।’

सिद्धारमैया ने पूछा था, ‘क्या आरएसएस के लोग भारत के मूल निवासी हैं? क्या आर्य इस देश के मूल निवासी हैं? यह द्रविड़ हैं जो मूल रूप से इस देश के हैं। मुगलों के 600 साल के शासन के लिए कौन जिम्मेदार है? यदि भारतीय एकजुट रहे, तो क्या उनके लिए हम पर शासन करना संभव था?’
सिद्धारमैया ने ये भी कहा कि हिजाब पर विवाद करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। सभी को कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए, 99.9 फीसदी छात्र कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरमैया की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा व एकता को लेकर मोदी ने नेहरू की तुलना में मजबूत कदम उठाए हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, ‘स्वाभाविक है, पीएम मोदी की तुलना नेहरू से नहीं की जा सकती, क्योंकि चीन ने जब सन 1962 में भारत पर आक्रमण किया तो नेहरू ने उचित कदम उठाए बिना सीमावर्ती क्षेत्रों को चीन को दे दिया, जबकि नरेंद्र मोदी मजबूती से खड़े रहे हैं और उन्होंने हाल में सीमा पर हुई झड़पों में हमारे सीमा क्षेत्रों की रक्षा की।’

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अलावा पीएम मोदी ने पाकिस्तान से कभी समझौता नहीं किया। फिर चाहे वो कोई भी मुद्दा क्यों न हो। उन्होंने भारत की एकता और अंखडता के लिए काम किया। इसके उदाहरण देश के सामने हैं। सिद्धरमैया कि आरएसएस के बारे की गई टिप्पणी पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं पूछता हूं कि सिद्धरमैया कहां से आए, वह द्रविड़ हैं



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PM मोदी ने कहा किसानों को 3,500 का यूरिया बैग 300 रुपए में देती है सरकार, जानें आपको कैसे मिलेगा इस सब्सिडी का लाभ

गुजरात के गांधीनगर में एक सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 50 किलो के एक यूरिया बैग की कीमत 3,500 रुपए है, लेकिन यह किसानों को सिर्फ 300 रुपए में में दिया जाता है। इसका मतलब है कि एनडीए सरकार प्रति बैग 3,200 रुपए का खर्च वहन करती है।

वहीं आधिकारिक सरकारी वेबसाइट के अनुसार, आयातित यूरिया के लिए उर्वरक सब्सिडी में यूरिया की 100% आयात लागत का भुगतान, 98% अग्रिम दावा और जमा किए गए यूरिया की आयात लागत का 2% शेष दावा भुगतान केंद्र की ओर से किया जाता है। प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि प्रशासन का लक्ष्य यह गारंटी देना है कि सभी योजना लाभों का पूरी तरह से उपयोग हो रहा है या नहीं।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए एक अभियान चला रही है कि योजनाएं नागरिकों के लिए शत-प्रतिशत सुलभ हों। उन्‍होंने यह भी कहा कि यूक्रेन में COVID-19 महामारी और युद्ध के कारण उर्वरकों की कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि देश में किसानों को यूरिया और अन्य आदानों की कमी का सामना न करना पड़े।

अगर आप भी खेती करते हैं तो आपको बता दें कि पीएम मोदी द्वारा बताए गए उर्वरक पर सब्सिडी का लाभ आप भी उठा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको कुछ काम करना होगा, जिससे आप यूरिया खाद या अन्‍य उर्वरक पर सब्सिडी पा सकते हैं।

क्‍या है उर्वरक सब्सिडी योजना
केंद्र सरकार की ओर से किसानों पर उर्वरक का भार कम करने के लिए सब्सिडी योजना की शुरुआत की गई है। इसके तहत किसानों को कम दाम पर उर्वरक उपलब्‍ध कराया जाता है। सब्सिडी के मिलने से किसानों को उर्वरक बाजार से बेहद सस्‍ती कीमत में पड़ती है।

कैसे मिलेगा सब्सिडी का लाभ
सब्सिडी सरकार द्वारा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना के तहत दी जाती है। उर्वरक डीबीटी प्रणाली के तहत खुदरा विक्रेताओं द्वारा लाभार्भियों को उर्वरक दी जाती है। किसानों और क्रेताओं को राजसहायता प्राप्‍त सभी उर्वरकों की बिक्री प्रत्‍येक खुदरा बिक्री दुकान पर लगी प्‍वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों के माध्‍यम से की जाती है तथा आधार कार्ड, केसीसी, मतदाता पहचान पत्र आदि के जरिए लाभार्थियों की पहचान की जाती है। सब्सिडी पाने के लिए किसानों को अपने खाते से बैंक को लिंक करना होगा। बाद में किसान आपके खाते में उर्वरक की सब्सिडी भेजेगी।



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Friday, May 27, 2022

भैंस पर सवार हो जब लालू से मिलने पहुंचे “नटवर लाल”, बोले- तेजस्वी हमारे “पिताजी”, RJD नेता-राबड़ी दादा-दादी

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुखिया लालू प्रसाद यादव भले ही छवि और सेहत के मोर्चे पर कठिन दौर से गुजर रहे हों, पर उनकी फैन फॉलोइंग (चाहने वालों की संख्या) कम नहीं हुई है। इस बात की बानगी शुक्रवार (27 मई, 2022) तो तब देखने को मिली, जब वह बिहार की राजधानी पटना पहुंचे।

दरअसल, उनके कुछ कट्टर फैन बड़े ही अनोखे अंदाज में खुद को हरे रंग से पेंट और भैंस पर सवार होकर राबड़ी के आवास उनसे मिलने पहुंचे। इनमें से एक प्रशंसक का नाम नटवर लाल भी था। लालू के फैन्स ने उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव को अपना पिताजी बताया, जबकि यह भी कहा कि वे लोग अपने भगवान के पास आए हैं। भैंस पर सवार हो जब लालू से मिलने पहुंचे “नटवर लाल”, बोले- तेजस्वी हमारे “पिताजी”



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आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की भर्ती प्रक्रिया का नया सिस्टमः हर 4 साल में फौजी किए जाएंगे रिलीज, जानें- आगे क्या होगा?

टूर ऑफ़ ड्यूटी/अग्निपथ योजना के तहत तीनों सेनाओं – थल सेना, नौसेना और वायु सेना में भर्ती की नई प्रणाली में कुछ परिवर्तन प्रस्तावित किए गए हैं। अब भर्ती किए गए सैनिकों में से 100 प्रतिशत चार साल बाद सेवा से मुक्त किए जाएंगे और फिर 25 प्रतिशत को पूर्ण सेवा के लिए पुनः सूचीबद्ध किया जायेगा। उच्च पदस्थ सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को जानकारी दी है कि टूर ऑफ़ ड्यूटी के अंतिम प्रारूप पर बहुत चर्चा हुई है और कुछ नए सुझाव प्रस्तावित किए गए हैं।

प्रारंभिक प्रस्ताव के विपरीत कि कुछ प्रतिशत को प्रशिक्षण सहित तीन साल की सेवा के बाद रिलीज कर दिया जाएगा और अधिक को पांच साल की संविदा सेवा के बाद छोड़ दिया जाएगा, जिसमें लगभग 25 प्रतिशत पद पूर्ण अवधि के लिए बनाए रखा गया है। नए प्रस्ताव में चार साल बाद शत-प्रतिशत कर्मचारियोंं को रिलीज करने की बात की गई है।

हालांकि चार साल की संविदा सेवा के बाद इन सैनिकों में 25 फीसदी को वापस बुला लिया जाएगा और सेना में शामिल होने की एक नई तारीख के साथ सैनिकों के रूप में फिर से भर्ती किया जाएगा। उनकी पिछले चार वर्षों की संविदा सेवा का वेतन और पेंशन के निर्धारण के लिए उनकी पूर्ण सेवा में नहीं गिना जाएगा। इस तरह से बड़ी रकम की बचत होने की उम्मीद है।

सूत्रों ने बताया कि तीनों सेवाओं में सैनिकों के कुछ ट्रेडों के लिए कुछ अपवाद होंगे, जिसमें उनकी नौकरी की तकनीकी प्रकृति के कारण उन्हें चार साल की संविदा सेवा से परे रखा जा सकता है। इनमें आर्मी मेडिकल कोर में सेवारत कर्मी भी शामिल हो सकते हैं। एक प्रस्ताव यह भी था कि तकनीकी रूप से प्रशिक्षित मैनपॉवर को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों से सीधे भर्ती किया जाना चाहिए ताकि उनके तकनीकी प्रशिक्षण पर अधिक समय खर्च न हो। सेना प्रशिक्षण कमान को इस संबंध में एक अध्ययन करने का काम सौंपा गया था, जिसके परिणाम का अभी पता नहीं चला है।

सेना में लगभग दो वर्षों से कोई भर्ती नहीं होने के कारण युवाओं में काफी चिंता है। भर्ती में देरी को लेकर हरियाणा के साथ-साथ पंजाब में भी विरोध प्रदर्शन हुए। कई युवाओं को डर है कि जब तक सरकार भर्ती को फिर से खोलेगी, तब तक वे ओवरएज हो जाएंगे।



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अरविंद केजरीवाल की खांसी, ममता बनर्जी की नमाज से लेकर अखिलेश के हाव-भाव की जब BJP नेता उतारने लगे नकल

ज्ञानवापी विवाद पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है और मामला कोर्ट में है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि मस्जिद में सर्वे के दौरान वजूखाने में शिवलिंग मिला है। वहीं मुस्लिम पक्ष ने हिन्दू पक्ष के दावे को नकारते हुए कहा कि जिसे हिन्दू पक्ष शिवलिंग बता रहा है, वो केवल एक फव्वारा है। ज्ञानवापी विवाद को लेकर टीवी चैनलों पर भी बहस चल रही है।

इसी क्रम में समाचार चैनल आज तक पर बहस चल रही थी और बहस के दौरान बीजेपी प्रवक्ता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की नक़ल उतारने लगे। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “हताश निराश कौन सी पार्टी है ये युवा भी जनता है। 399 सीटों पे लड़ी और 387 पर रिकॉर्ड बनाकर जमानत जब्त करा ली।”

बीजेपी प्रवक्ता ने आगे कहा, “ये भोलेनाथ की ही कृपा है कि आज पूरे देश में ज्ञानवापी मंदिर पर चर्चा हो रही है। एक तरफ बीजेपी हिन्दू अस्मिता के लिए खड़ी है और एक तरफ खुद को मुसलमान की पार्टी कहने वाली कांग्रेस पार्टी, मौलाना अखिलेश की पार्टी सपा, एआईएमआईएम जिसके नाम में ही मुस्लिम है, खांसी वाली केजरीवाल गायब हैं, मुमताज बनर्जी (ममता बनर्जी) की पार्टी खड़ी है और ये लोग गायब हैं।”

वहीं बहस के दौरान समाजवादी प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने शिव श्लोक का पाठ किया और बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया को इसे पढ़ने की चुनौती दे डाली। जबकि गौरव भाटिया श्लोक पढ़ने से बचते हुए नजर आये और सपा प्रवक्ता लगातार बहस के दौरान उनसे शिव श्लोक पढ़ने की लिए कहते दिख रहे थे।

वहीं बहस में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने तंज कसते हुए कहा, “ये चुनाव में बोल रहे थे कि इनके सपने में भगवन कृष्ण आ रहे हैं। वहीं परशुराम जयंती आई ट्वीट भी नहीं किया जबकि ईद पर 4 ट्वीट किए। अखिलेश यादव में अगर हिम्मत हो तो ये बोल कर दिखाए कि कहीं भी चटाई लगा दो, तो वो मस्जिद बन जाता है जैसे उन्होंने हिन्दू धर्म के लिए पीपल पेड़ को बोला।”



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Thursday, May 26, 2022

तेलंगाना में दोगुनी से अधिक हुई प्रति व्यक्ति आय

तेलंगाना में बीते आठ साल के दौरान प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक बढ़ गई है। दक्षिण भारत के राज्यों में औसत आर्थिक विकास के मामले में तेलंगाना अव्वल है। यह कृषि क्षेत्र को निरंतर निशुल्क बिजली मुहैया करवा रहा है। बीते आठ साल में तेलंगाना का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) चार करोड़ 51 हजार 580 करोड़ रुपए से बढ़ कर 11 लाख 54 हजार 860 करोड़ रुपए हो गया है।

साल 2015 से 2021 के दौरान तेलंगाना में औसत आर्थिक विकास दर 11.7 फीसद रही जो दक्षिण भारत के राज्यों में सबसे अधिक थी। राज्य में बीते आठ साल के दौरान प्रति व्यक्ति आय एक लाख 24 हजार 104 रुपए से बढ़ कर दो लाख 78 हजार 833 रुपए हो गई है। देश कीप्रति व्यक्ति आय की तुलना में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 86 फीसद अधिक है। प्रति व्यक्तिबिजली खपत वृद्धि दर में तेलंगाना राज्य देश में पहले स्थान पर रहा।

तेलंगाना में रेकार्ड 2.18 करोड़ टन धान का उत्पादन हुआ है। बीते आठ साल में तेलंगाना का कृषि उत्पादन आठ गुना बढ़ गया है। तेलंगाना का खाद्य उत्पादन पंजाब के बराबर हो गया है। इसने इस मौसम में अनाज की खरीद के लिए सात हजार खरीद केंद्र स्थापित किए। यह देश में इकलौता राज्य है जिसने अपने किसानों का पैदा किया गया पूरा अनाज खरीद लिया है।

देश में कपास उत्पादन में तेलंगाना का प्रथम स्थान है। यही देश में ऐसा राज्य है जिसने अपने किसानों को प्रमाणीकृत बीज आनलाइन उपलब्ध कराए हैं। तेलंगाना में बीते आठ सालों के दौरान भंडारण की क्षमता 9.9 लाख टन से बढ़ा कर 31.9 लाख टन हो गई है। देश के राज्यों में केवल तेलंगाना ही है जिसने ट्रैक्टर, ट्राली आदि पर यातायात कर स्थगित कर दिया है।

तेलंगाना सरकार वरिष्ठ नागरिकों, एकल महिला, विधवा, बुनकरों, एड्स के मरीजों और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों को पेंशन मुहैया करवा रही है। राज्य में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रति लीटर चार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। राज्य सरकार दस हजार इमामों और मौलानाओं को पांच हजार रुपए प्रति माह मानदेय दे रही है। राज्य सरकार ने दलितों के सर्वांगीण उत्थान के लिए दलित बंधु योजना शुरू की।

सरकार ने 75 वर्ग यार्ड के भवन निर्माण के लिए स्वीकृति की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है और उनसे 100 रुपए गृह कर लिया जाता है। राज्य में 973 गुरुकुल स्थापित किए गए हैं जो पांच लाख छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा मुहैया करवा रहे हैं। गुरुकुल में सरकार हरेक बच्चे पर सवा लाख रुपए खर्च करती है।

राज्य सरकार हर जिले में एक सरकारी मेडिकल कालेज खोलने की दिशा में काम कर रही है। राज्य में नदियों, झीलों और झरनों को पुनर्जीवित करने के लिए 1200 चेक डेम बनाए गए हैं। तेलंगाना सरकार सभी मंदिरों और धार्मिक स्थलों का विकास कर रही है। हैदराबाद को विश्व के सबसे सुरक्षित शहर का दर्जा मिला है और यह सभी निवेशकों का पसंदीदा स्थल बन गया है।



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कुतुब मीनार में कमल के अंदर कलमा लिखा है, इस्‍लामिक स्‍कॉलर बोले- ये हिंदू-मुस्लिम संस्‍कृति का मिलन, सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- ये तो दारा शिकोह ने कहा था उसका गला काट दिया

देश में चल रहे ज्ञानवापी मस्जिद- मंदिर विवाद के बीच इस्लामिक स्कॉलर जुनैद हारिस ने दावा किया है कि कुतुब मीनार में कमल के अंदर कलमा लिखा है। उन्होंने फिर से दोहराया कि जो मुसलमान यहां आए उन्होंने हिंदुस्तान की संस्कृति को अपनाया। उन्होंने अकबर का उदाहरण देते हुए कहा कि उसने विक्रमादित्य की नकल करते हुए नवरत्न रखे।

एक टीवी डिबेट में ज्ञनवापी मस्जिद के अंदर फव्वारा और शिवलिंग के दावे को लेकर उन्होंने कहा कि ये हिंदु-मुस्लिम संस्कृति का मिलन है, इसमें कुछ गलत नहीं है।

इस पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हारिस साहब ने जो कहा कि ये संस्कृतियों का मिलन है, इस शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले औरंगजेब के बड़े भाई दारा शिकोह ने किया था। उसने एक किताब लिखी थी, मंजुमल बहरीन- दो समुंदरों को मिलन, उसका तो सिर काट दिया गया था। उसके लिए तो मैंने किसी मुसलमान को खड़े नहीं देखा कि वो हमारा था। वे खड़े होते हैं औरंगजेब के लिए।

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “ये जांच से क्यों डरते हैं क्योंकि जमीन के अंदर खुदाई ही नहीं, अगर शरीर के अंदर की भी जांच हो गई तो शादाब चौहान, जाकिर नायक, मकबूल भट्ट, इफ्तिखार चौधरी समेत जानें क्या-क्या हकीकत में निकलेंगे। फिर अगर आखिर में जिन्ना का परदादा पूंजा लाल ठक्कर निकलेगा। अंत में डर इन्हें इस बात का है कि फिल्म अमर अकबर एंथनी की तरह तीनों का बाप आखिर में कृष्णलाल ही निकलेगा।”

गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर गुरुवार (26 मई, 2022) को वाराणसी की जिला अदालत में सुनवाई हुई। हालांकि, सुनवाई पूरी नहीं सकी। इस दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति के अधिवक्ताओं ने दलीलें देनी शुरू कीं, लेकिन बहस आज पूरी नहीं हो सकी। अब अगली सुनवाई 30 मई को होगी।



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Monkeypox In India: केरल में मिला मंकीपॉक्स का दूसरा केस, दुबई से पिछले हफ्ते लौटा था शख्स

monkeypox second case confirmed in kerala केरल में मंकीपॉक्स का दूसरा मामला सामने आया है। सूबे के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि दुबई से प...