Tuesday, March 31, 2020

जनसत्ता विशेष: काम के लिए गांव-दर छूटने का मलाल नहीं, पर अब तो दवा भी मयस्सर नहीं

बिहार के इमरान एक मैकेनिक हैं। किराए के एक कमरे में वह अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ रहते हैं। बड़े दुखी मन से इमरान बताते हैं, ‘मेरा तीन साल का छोटा बेटा रूमान बार-बार बोलता है कि पापा कुछ ला दो। अब इसे कैसे समझाऊं कि बंदी चल रही है।’

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