Friday, November 30, 2018

राजनीति: सोच में भी बदलाव जरूरी

यह सच है कि चाहे घरों का शौचालय हो या सार्वजनिक, सभी पानी की उपलब्धता के बिना काम नहीं कर सकते। यह भी कड़वा सच है कि इन शौचालयों का प्रयोग तब तक नहीं हो सकता, जब तक इनकी साफ-सफाई ठीक से न हो। भारत में इस प्रकार की सुविधाओं के लिए धन की कोई खास व्यवस्था न होने के कारण इनका ठीक से विस्तार भी नहीं हो सका है।

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